या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Shardiya Navratra 2020 :नवरात्र के पांचवे दिन 21अक्टूबर 2020 दिन बुधवार को पंचमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी मां स्कन्द माता की पूजा की जायेगी। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है।भगवान ‘कुमार कार्तिकेय’ का दूसरा नाम “स्कंद” भी है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं।
माँ स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, इनके हाथों में कमल पुष्प और वरमुद्रा है। इनका वर्ण पूर्णतः सफेद हैं और ये कमल के आसन पर विराजमान है इसीलिए इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है, और इनका भी वाहन सिंह है।यह दोनों हाथों में कमलदल लिए हुए और एक हाथ से अपनी गोद में ब्रह्मस्वरूप सनतकुमार को थामे हुए हैं। स्कंद माता की गोद में उन्हीं का सूक्ष्म रूप है। इनकी पूजा-अर्चना में मिट्टी की 6 मूर्तियां सजाना जरूरी माना गया हैं।माँ अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं, साथ ही मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं।
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के पाँचवें दिन का महत्व पुष्कल बताया गया है। इस चक्र में अवस्थित मन वाले साधक की समस्त बाह्य क्रियाओं एवं चित्तवृत्तियों का लोप हो जाता है। स्कंद माता को पार्वती एवं उमा के नाम से भी जाना जाता है। स्कंदमाता की आराधना के फल स्वरूप मन को शांति मिलती है।
ऐसे करे पूजा आराधना
मां स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया |शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
सबसे पहले चौकी (बाजोट) पर स्कंदमाता की प्रतिमा स्थापित करें।इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें।चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के घड़े में जल भरकर उस पर कलश रखें।उसी चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) की स्थापना भी करें।
इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।
इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कन्द माता का मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
‘ॐ स्कन्दमात्रै नम:।।’
निश्चित लाभ होगा।
ध्यान
वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
सिंहारूढाचतुर्भुजास्कन्धमातायशस्वनीम्
धवलवर्णाविशुद्ध चक्रस्थितांपंचम दुर्गा त्रिनेत्राम।
अभय पदमयुग्म करांदक्षिण उरूपुत्रधरामभजेम्
पटाम्बरपरिधानाकृदुहज्ञसयानानालंकारभूषिताम्।
मंजीर हार केयूर किंकिणिरत्नकुण्डलधारिणीम।।
प्रभुल्लवंदनापल्लवाधरांकांत कपोलांपीन पयोधराम्।
कमनीयांलावण्यांजारूत्रिवलींनितम्बनीम्घ् स्तोत्र
नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्।
समग्रतत्वसागर अपरमपार पारगहराम्
शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्
महेन्द्रकश्यपाद्दचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्।
सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्
मुमुक्षुभिद्दवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्।
नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।।
सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्।
सुधाद्दमककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्
शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्।
तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्
सहस्त्रसूर्यराजिकांधनच्जयोग्रकारिकाम्।
सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमच्जुलाम्
प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्।
स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्
इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्।
पुनरूपुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराद्दचताम्
जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्
कवच
ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुताघ्
श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदाघ्
वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतुघ्
इन्द्राणी भैरवी चौवासितांगीचसंहारिणी।
सर्वदापातुमां देवी चान्यान्यासुहि दिक्षवैघ्