नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) ने छोटे निवेशकों को सौगात देते हुए सरकारी सिक्योरिटीज (जी-सेक) की खरीद के लिए सीधे केंद्रीय बैंक में अपना खाता खुलवाने की व्यवस्था का ऐलान किया है। जी-सेक को बोलचाल की भाषा में बॉन्ड के रूप में जाना जाता है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार को कहा कि अब खुदरा निवेशक रीटेल डायरेक्ट के जरिए सीधे सरकारी बॉन्ड खरीद पाएंगे। इस व्यवस्था के आ जाने से भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो सरकारी सिक्योरिटीज में खरीद-बिक्री के लिए सीधा एक्सेस देते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई के इस कदम से सरकार को कर्ज लेने के लिए एक बड़ा साधन मिल जाएगा। अगले वित्त वर्ष में सरकार द्वारा 12 लाख करोड़ रुपये के उधारी लक्ष्य को पूरा करने के मद्देनजर आरबीआई को उम्मीद है कि इस कदम से खासतौर से गिल्ट बाजार और व्यापक रूप से ऋण बाजार का विस्तार होगा। इस तरह आरबीआई ने सरकार के लिए उधार लेने का एक बड़ा और अनंत रास्ता खोल दिया है, जैसा कि अभी घरेलू शेयर बाजार में किया जाता है। हालांकि, अंतर यह है कि ऐसा आरबीआई की निगरानी में होगा।

मौजूदा समय में क्या है स्थिति

इस समय आरबीआई छोटे निवेशकों को बीएसई और एनएसई पर गोबिड मंच के जरिए सरकारी बॉन्ड खरीदने की इजाजत देता है। दास ने कहा, “सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा भागीदारी बढ़ाने और पहुंच को आसान बनाने के लिए जारी प्रयासों के तहत एग्रीगेटर मॉडल से आगे बढ़ने और खुदरा निवेशकों को आरबीआई के साथ गिल्ट प्रतिभूति खाता (रिटेल डायरेक्ट) खोलने की सुविधा के साथ सरकारी प्रतिभूति बाजार- प्राथमिक और द्वितीयक, दोनों बाजारों में सीधे ऑनलाइन पहुंच देने का निर्णय किया गया है।” भारत ऐसा करने वाला एशिया में पहला देश होगा। मौजूदा समय में ब्रिटेन, ब्राजील और हंगरी में छोटे निवेशकों को सरकारी प्रतिभूति सीधे खरीदने-बेचने की छूट है। इस पर तीसरे पक्ष के जरिए नियंत्रण रखा जाता है।

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