लखनऊ। अपने जमाने के मशहूर हॉकी खिलाड़ी व मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के अहम सदस्य रविन्दर पाल सिंह (65 वर्ष) कोरोना वायरस संक्रमण से हुई जंग में हार गए। करीब 22 दिन मौत से संघर्ष करने के बाद यहां के विवेकानंद पॉलीक्लिनिक में उन्होंने अंतिम सांस ली।

रविन्दर पाल सिंह को स्वास्थ्य खराब होने पर लखनऊ के टीएस मिश्रा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उन्हें 24 अप्रैल की रात 2:30 बजे गंभीर स्थिति में विवेकानंद पॉलीक्लिनिक में भर्ती कराया गया था। तब से वह वेंटिलेटर पर थे। विवेकानंद पॉलीक्लिनिक के मीडिया प्रभारी डॉ विशाल ने बताया कि 5 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी जिसके बाद 6 मई  को उन्हें नेगेटिव वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था। वह बाईपेप पर थे मगर बीपी और ऑक्सीजन सैचुरेशन अनियंत्रित होने के चलते शुक्रवार की रात दोबारा वेंटिलेटर पर लेना पड़ गया। शनिवार को सुबह 5:34 बजे उनका निधन हो गया। इलाज में धन की कमी भी आड़े आ रही थी। 

दरअसल, रविन्दर आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। उनकी मदद के लिए ह़ॉकी इंडिया आगे आया था और इलाज के लिए पांच लाख रुपये देने का निर्णय लिया था। इसके साथ ही उनके घरवालों ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी मदद की गुहार लगाई थी। हाकी इंडिया के पदाधिकारियों के मुताबिक 10 मई को दिल्ली में लॉकडाउन खुलने पर धनराशि ट्रांसफर होगी। 

रविन्दर पाल मॉस्को ओलंपिक के बाद 1984 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक में भी खेले थे। सीनियर टीम में आने से पहले वह 1979 जूनियर विश्व कप भी खेले। सेंटर हॉफ पोजीशन पर खेलने वाले रविन्दर पाल सिंह दो ओलंपिक के अलावा 1980 एवं 1983 में चैम्पियंस ट्रॉफी और 1982 विश्व कप और 1982 एशिया कप में भी खेले।

सीतापुर जिले के निवासी रविन्दर पाल सिंह अविवाहित थे और कमर में दर्द की शिकायत के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास ले लिया था।

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