नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने ट्रेनों में इंटरनेट कनेक्शन देने की योदना को बंद कगरतने का निर्णय किया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में कहा कि ट्रेनों में इंटरनेट कनेक्शन (Wi-Fi in Moving Train) देने की परियोजना को त्याग दिया गया है क्योंकि यह लागत प्रभावी (Cost effective) नहीं थी। इसके साथ ही, यात्रियों को इंटरनेट बैंडविड्थ की उपलब्धता भी अपर्याप्त थी।

दरअसल, रेल मंत्रालय की योजना थी कि जिस तरह से स्टेशनों पर फ्री वाई-फाई की सेवा मिलती है, उसी तरह ट्रेन (Free wi fi in moving trains) में भी यह सुविधा मिले। हालांकि रेलवे स्टेशनों पर जो फ्री वाई-फाई की सेवा मिलती है, उसमें महज 30 मिनट के लिए ही यह सेवा फ्री है। बाद में इसके लिए शुल्क वसूला जाता है।

वर्ष 2010 में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने चलती ट्रेन में वाई-फाई सुविधा का सपना देखा था। इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू करने के लिए सबसे पहले नई दिल्ली से हावड़ा के बीच चलने वाली हावड़ा राजधानी को चुना गया। यही राजधानी एक्सप्रेस देश की पहली राजधानी एक्सप्रेस भी है। इसमें फरवरी 2011 में फ्री वाई-फाई की सुविधा दी गई थी। बाद में इसे देश के अन्य प्रीमियम गाड़ियों, यथा- अन्य राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस और दूरंतो एक्सप्रेस में भी लगाया जाना था।

कितने स्टेशनों में है यह सेवा?

वर्तमान में, भारतीय रेलवे द्वारा 6,000 से अधिक स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा प्रदान की जा रही है। यह सुविधा रेल मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) रेलटेल की मदद से दी जा रही है। हालांकि जब रेलटेल ने गूगल की मदद से वर्ष 2015 में यह सेवा शुरू की गई थी, उस समय करीब 400 स्टेशनों में ही इसे उपलब्ध कराने का लक्ष्य था। कालांतर में लक्ष्य बढ़ता गया और नए स्टेशन जुड़ते गए।

 
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