श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद कश्मीर घाटी की स्थिति का जायजा लेने के लिए शनिवार को राहुल गांधी के नेतृत्व में यहां पहुंचे विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल को श्रीनगर हवाई अड्डे से ही वापस भेज दिया गया। विपक्षी नेताओं के श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद वहां हंगामा शुरू हो गया था। कांग्रेस के “मिशन कश्मीर” पर यहां पहुंचे इस प्रतिनिधिमंडल को प्रशासन ने हवाई अड्डे से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी जिसके चलते ये सभी नेता सुरक्षा बलों की मौजूदगी में वीआईपी लाउंज में बैठे रहे। प्रशासन ने उन्हें पहले ही उनसे अपने दौरे को टालने की अपील की थी।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी तथा कुछ अन्य विपक्षी नेताओं को प्रशासन ने शहर में जाने की अनुमति नहीं दी और उन्हें यहां हवाई अड्डे पर ही रोक लिया गया।

प्रशासन ने श्रीनगर में सुरक्षा हालात का हवाला देते हुए नौ विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल को हवाई अड्डे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी। विपक्षी नेताओं का दल करीब दो बजे श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचा। मीडिया ने जब विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से मिलने का प्रयास किया तो ऐसा नहीं करने दिया गया।

विपक्षी दलों के इस  12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल, पार्ट् के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा, द्रमुक नेता तिरुचि शिवा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के माजिद मेमन, तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी तथा राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज झा शामिल थे। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल नहीं हुए। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को ही एक वक्तव्य जारी कर विपक्षी नेताओं से आग्रह किया था कि वे फिलहाल कश्मीर घाटी में न आएं और प्रशासन के साथ सहयोग करें। प्रशासन ने ट्वीट किया कर कहा था, “ नेताओं के दौरे से असुविधा होगी। हम लोगों को आतंकवादियों से बचाने में लगे हैं।” प्रशासन ने कहा कि नेता उन प्रतिबंधों का भी उल्लंघन कर रहे होंगे जो अभी भी कई क्षेत्रों में हैं। वरिष्ठ नेताओं को समझना चाहिए कि शांति-व्यवस्था बनाए रखने और नुकसान को रोकने को सवोर्च्च प्राथमिकता दी जा रही।

गौरतलब है कि धारा 370 और अनुच्छेद 35ए खत्म रद्द किए जाने के बाद से ही कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है और उसके नेता जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं।

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