इस्‍लामाबाद। पाकिस्तान के विदेश मंत्री असद अमर ने बीती 4 अप्रैल को स्वीकार किया था कि उनका देश दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुका है। अब एक अंतरराष्ट्रीय आर्थिक र्रिपोर्ट में भी आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की बदहाली बयान की गई है। संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक आर्थिक रिपोर्ट में पूर्वानुमान जताया गया है कि इस साल (2019) पाकिस्‍तान की जीडीपी का अनुमान सबसे कम 4.2 प्रतिशत और 2020 में इससे भी गिरकर 4 प्रतिशत रह सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान बदहाली के जिस दौर से गुजर रहा है, उसको देखते हुए उसकी जीडीपी बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव से भी पीछे रह सकती है।

भुगतान संबंधी कठिनाइयों का गंभीर असंतुलन

रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े राजकोषीय और चालू खाता घाटे तथा मुद्रा पर बढ़ते दबाव के बीच पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भुगतान संबंधी कठिनाइयों का गंभीर असंतुलन का सामना कर रही है।

एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (United Nations Economic and Social Commission) द्वारा Ambitions beyond Growth (विकास से परे महत्वाकांक्षाएं) शीर्षक से जारी एशिया एंड पेसिफि‍क 2019 के वार्षिक आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि 2019 में पाकिस्तान की जीडीपी इस क्षेत्र में सबसे कम 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि इसी वर्ष भारत की जीडीपी 7.5 प्रतिशत, बांग्‍लोदश की जीडीपी 7.3 प्रतिशत तथा मालदीव और नेपाल की जीडीपी 6.5-6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के चलते बढ़ रही अनिश्चितता

सर्वेक्षण में पता चला है कि इस क्षेत्र में कुल आर्थिक स्थिति 2019 और 2020 में अनुमानित 5-5.1 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि के साथ स्थिर रहेगी। हालांकि, निर्यातोन्मुखी क्षेत्र यूरोप और संभवतः अमेरिका में कमजोर मांग का सामना कर रहे हैं। इसके साथ ही “अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध” के चलते अनिश्चितता बढ़ रही है।

गौरतलब है कि सोशल मीडिया के साथ देश की अर्थव्यवस्था के संबंध में सवाल जवाब के विशेष सत्र में पाकिस्तान के वित्त मंत्री असद अमर ने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान का मूल्य ऋण इतनी खतरनाक ऊंचाई पर पहुंच चुका है कि देश दिवालिया होने के कगार के निकट आ गया है। अमर ने कहा, “आप इतने भारी ऋण के बोझ के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जा रहे हैं। हमें इस भारी अंतर को पाटना है।” उन्होंने कहा, “अगर पीएमएलएन समय के नंबर को देखें तो मंहगाई दहाई अंक में थी, हम शुक्रगुजार हैं कि अभी यह उस स्तर को नहीं छू पाई है।“

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