काबुल। अफगानिस्तान में मंगलवार को दो बड़े धमाके हुए। परवान शहर में भीषण आत्मघाती हमले के बाद काबुल में भी धमाका हुआ। यह धमाका काबुल के मैक्रोरीन-2 क्षेत्र में हुआ। यह जगह मसूद स्क्वायर और अमेरिकी दूतावास के करीब है जबकि पहला धमाका राष्ट्रपति अशरफ गनी की चुनावी रैली को निशाना बनाकर किया गया। इस धमाके में 8 लोगों की मौत हो गई और 10 से अधिक घायल हुए हैं। इनमें महिलाओं और बच्चे की संख्या ज्यादा है।
राष्ट्रपित गनी के एक करीबी ने बताया कि जब धमाका हुआ तो राष्ट्रपति वहीं मौजूद थे लेकिन वे एकदम सही सलामत हैं। इस घटना की अभी तक किसी आतंकवादी समूह ने जिम्मेदारी नहीं ली है। हालांकि, माना जा रहा है कि इसके पीछे तालिबान का हाथ हो सकता है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नसरत रहीमी ने कहा कि परवन विस्फोट एक आत्मघाती हमला था और हमलावर एक मोटरसाइकिल सवार था।
जानकारी अनुसार मरने वालों और घायलों की संख्या में और इजाफा हो सकता है। दहशतगर्दों ने गनी की चुनावी रैली को निशाना बनाया ताकि ज्यादा से लोग घायल हो सकें। इसका एक कारण 28 सितंबर को होने वाला चुनाव है। ध्यान रहे कि तालिबान नहीं चाहता कि देश में चुनाव हो। ऐसे में उसने गनी के रैली को निशाना बनाया है ताकि चुनाव सफल न हो। इससे पहले दो बार चुनाव टल चुका है।
गौरतलब
है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक अमेरिकी सैनिक के मौत के बाद
अमेरिका-तालिबान शांति वार्ता को रद कर दिया था। इसके बाद तालिबान ने अमेरिका को
धमकी दी थी कि वार्ता रद करने से और अमेरिकयों की जान जाएगी। इसके बाद से देश में
लगातार धमाके हो रहे हैं और अमेरिकी दूतावास को निशाना बनाया जा रहा है। इससे पहले
9/11 की 18वीं बरसी
पर अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास पर रॉकेट से हमला किया गया था।
वार्ता को रद करने के लिए ट्रंप की आलोचना करते हुए इस्लामिक समूह ने बयान जारी किया था, “इससे अमेरिका को और नुकसान होगा। उसकी विश्वसनीयता प्रभावित होगी, उसका शांति विरोधी रुख दुनिया के सामने होगा, जान-माल का नुकसान होगा।” तालिबान ने कहा था कि ट्रंप का ये फैसला उनके अपरिपक्वता और कम अनुभव को दर्शाता है। वहीं अफगानिस्तान ने ट्रंप के इस फैसले के स्वागत किया था। राष्ट्रपति गनी ने तालिबान से हिंसा बंद करने और सरकार से सीधी वार्ता की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि तालिबान के हिंसा बंद करने पर ही अफगानिस्तान में शांति आ सकती है।