लंदन। (Anti Corona Nasal Spray) ब्रिटेन की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नेजल स्प्रे तैयार किया गया है, जो सांस लेने के दौरान नाक में प्रवेश करने वाले कोरोना वायरस को नाक से आगे नहीं बढ़ने देगा और फिर इसे मारकर बाहर कर देगा।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह नेजल स्प्रे नाक के अंदर दवाई की एक परत को तैयार करता है जो कोरोना वायरस को हमारे शरीर की कोशिकाओं के साथ चिपकने नहीं देती। साथ ही नाक में मौजूद कोरोना वायरस इस नेजल स्प्रे से 48 घंटे में मर जाता है। हालांकि इस नेजल स्प्रे के इस्तेमाल के बाद भी कोरोना गाइडलाइन्स का पालन पूरी तरह करना होगा। जैसे कि मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना और बार-बार हाथ सैनिटाइज करना क्योंकि यह स्प्रे नाक के जरिए वायरस को शरीर में जाने से रोकता है, मुंह के जरिए नहीं।
फेस मास्क का उपयोग करने के बावजूद, ऐसा कई बार होता है जब मास्क थोड़ा-भी इधर-उधर होता है तो कोरोना संक्रमण का खतरा घेर लेता है। ऐसा आमतौर पर मास्क पहनने के बावजूद सार्वजनिक स्थान पर हुई लापरवाही के कारण होता है। लेकिन, जल्द ही इस तरह के डर और चिंता से मुक्ति मिल सकती है क्योंकि इस बात की पूरी संभावना है कि बर्मिंघम यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार किया गया ऐंटिकोरोना नेजल स्प्रे जल्द मार्केट में मिलने लगे।
इस नेजल स्प्रे को बनाने में कैरगीनेन और गैलन जैसे जिन रसायनों का उपयोग किया गया है, उन्हें इंसानी शरीर के लिए सुरक्षित माना जा रहा है क्योंकि इनका इस्तेमाल अन्य दवाओं और फास्ट फूड तैयार करने में भी किया जाता है। इसी आधार पर इस नेजल स्प्रे को बनाने की अनुमति प्रशासन द्वारा मिल चुकी है।
नाक में स्प्रे करने के बाद जैसे ही कोरोना वायरस श्वांस के माध्यम से नाक में प्रवेश करेगा, इस स्प्रे की एक परत उस वायरस पर चढ़ जाएगी। इससे वह वायरस त्वचा पर चिपक नहीं पाएगा और छींक आने पर बने वायु के दबाव से शरीर द्वारा बाहर फेंक दिया जाएगा।
यदि किसी कारणवश वायरस नाक से शरीर के अंदर प्रवेश भी कर जाता है, तब भी यह व्यक्ति के शरीर में संक्रमण नहीं फैला पाएगा क्योंकि इस पर चढ़ी नेजल स्प्रे की परत इसे शरीर के अंदर भी किसी अंग की कोशिकाओं से नहीं चिपकने देगी और कुछ ही समय में वायरस मर जाएगा। शोध से जुड़े डॉक्टर सिमोन क्लॉर्क का कहना है कि आमतौर पर कोरोना वायरस का संक्रमण होने के लक्षण तभी नजर आते हैं, जब यह वायरस व्यक्ति के फेफड़ों में पहुंचकर उन्हें संक्रमित कर देता है। लेकिन, इस नेजल स्प्रे का इस्तेमाल करने के बाद कोरोना फेफडडेतक पहुंचने से पहले ही मर जाएगा अथवा नेजल स्प्रे लेयर के कारण फेफड़ों को संक्रमित ही नहीं कर पाएगा।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नेजल स्प्रे उन लोगों के लिए अधिक लाभकारी होगा, जो संक्रमित मरीजों के बीच रहकर काम कर रहे हैं। इनमें डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ मुख्य रूप से शामिल हैं।
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