वाशिंगटन। कोरोना वायरस महामारी के इलाज का तरीका खोजने में जुटे अनुसंधानकर्ताओं को एक बड़ी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों को एक ऐसा छद्म प्रोटीन तैयार करने में सफलता मिली है जिससे कोरोना वायरस का शिकार किया जा सकता है। यह प्रोटीन वायरस से जुड़कर कोशिकाओं में संक्रमण पर अंकुश लगा सकता है। इस खोज से कोरोना वायरस के खिलाफ नए उपचार या रोकथाम के उपाय विकसित करने की नई राह खुल सकती है।
अमेरिका की इलिनोइस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोना वायरस की वजह बनने वाला सार्स-कोवी-2 वायरस इंसानी कोशिकाओं को एसीई2 नामक रिसेप्टर प्रोटीन के जरिये संक्रमित करता है। यह प्रोटीन खासतौर पर फेफड़ों, हृदय, किडनी, धमनियों और आंत में पाया जाता है। एसीई2 ब्लड प्रेशर और इंफ्लेमेशन को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। साइंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने दो हजार से ज्यादा परिवर्तित एसीई2 प्रोटीन तैयार किए और इसका विश्लेषण किया कि ये प्रोटीन कोरोना वायरस के साथ किस तरह परस्पर क्रिया करते हैं।
वैज्ञानिकों ने पाया कि तीन परिवर्तित प्रोटीन के संयोजन से एक ऐसे रिसेप्टर की उत्पत्ति हुई, जो मानव शरीर में उत्पन्न होने वाले स्वभाविक एसीई2 के मुकाबले कोरोना वायरस से 50 गुना ज्यादा मजबूती के साथ जुड़ गया। इलिनोइस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एरिक प्रोको ने कहा, “एसीई2 पर आधारित यह छद्म प्रोटीन ना सिर्फ संक्रमण को रोक सकता है बल्कि मूल प्रोटीन की गतिविधि को बहाल करने के साथ कोविड-19 का सीधे इलाज भी कर सकता है। हालांकि इस पर अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।”