नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बुधवार को टाटा संस (टाटा उद्योग समूह) को बड़ा झटका देते हुए कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध ठहराया। न्यायाधिकरण ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष (Executive Chairman)  के पद पर बहाल करने का आदेश दिया है। तीन साल पहले एक नाटकीय घटनाक्रम में साइरस मिस्त्री को उनके पद से हटा दिया गया था।

एनसीएलटी में केस हारने के बाद मिस्त्री अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे। एनसीएलटी ने 9 जुलाई 2018 के फैसले में कहा था कि टाटा सन्स का बोर्ड सायरस मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद से हटाने के लिए सक्षम था। मिस्त्री को इसलिए हटाया गया क्योंकि कंपनी बोर्ड और बड़े शेयरधारकों को उन पर भरोसा नहीं रहा था। अपीलेट ट्रिब्यूनल ने जुलाई में फैसला सुरक्षित रखा था।

मिस्त्री अक्टूबर 2016 में टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाए गए थे। दो महीने बाद उनकी ओर से सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प ने टाटा सन्स के फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच में चुनौती दी थी। कंपनियों की दलील थी कि मिस्त्री को हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के अनुसार नहीं था। जुलाई 2018 में एनसीएलटी ने उनके दावे को खारिज कर दिया। बाद में सायरस मिस्त्री ने खुद इस फैसले के खिलाफ अपील की थी। वर्ष 2012 में रतन टाटा के रिटायर होने के बाद सायरस मिस्त्री टाटा सन्स के छठे चेयरमैन बने थे।

 

error: Content is protected !!