नई दिल्ली। (Supreme Court order on BS-4 vehicles) 31 मार्च 2020 के बाद बीएस-4 वाहन खरीदने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा झटका दिया। शीर्ष अदालत ने इस तारीख के बाद बिकने वाले बीएस-4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया है। साथ ही उसने अपने उस आदेश को वापस ले लिया है जिसमें उसने लॉकडाउन खत्म होने के बाद 10 दिन तक दिल्ली और एनसीआर को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में बीएस-4 गाड़ियों की बिक्री की इजाजत दी थी।

न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी के साथ न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऑटोमोबाइल डीलर्स ने हमारे निर्देशों का उल्लंघन किया। मार्च के आखिर और 31 मार्च के बाद भी इन वाहनों को बेचा गया। पीठ ने कहा, “धोखाधड़ी करके हमारे आदेशों का फायदा मत उठाइए। अगर कोई बीएस-4 वाहन 31 मार्च 2020 के बाद बेचा जाता है तो उसका रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा।”

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएडीए) के वकील ने पीठ से कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएस-4 वाहनों की 31 मार्च से पहले बिक्री के आदेश दिए थे। ऐसे में रजिस्ट्रेशन किया गया। इस पर अदालत ने पूछा कि लॉकडाउन के समय में भी डीलरों ने वाहन कैसे बेचे। 17 हजार से ज्यादा गाड़ियों की जानकारी ई-वाहन पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई।

पीठ ने कहा, “वाहन का रजिस्ट्रेशन सही होगा, तभी हम उसे प्रोटेक्ट करेंगे। गाड़ियों को ऑनलाइन 3% से 40% की छूट पर कैसे बेचा गया? वह भी 31 मार्च के बाद…यह क्या धोखाधड़ी नहीं है?”

पीठ 23 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगी

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से 31 मार्च 2020 को वाहन पोर्टल पोस्ट पर अपलोड किए गए वाहनों और इस तारीख से 15 दिन पहले का डेटा दर्ज करने को कहा। शीर्ष अदालत ने एफएडीए को सरकार को बेचे जाने वाले वाहनों का डेटा देने को भी कहा। तीन सदस्यीय पीठ 23 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगी।

क्या है बीएस

बीएस का मतलब भारत स्टेज से है। इसका संबंध वाहनों द्वारा पैदा होने वाले प्रदूषण से है। बीएस का स्तर वाहनों का प्रदूषण तय करता है। बीएस का स्तर जितना अधिक रहेगा, वाहन उतना ही कम प्रदूषण पैदा करेगा।

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