नई दिल्ली। बजट 2020 (Budget 2020) में नौकरीपेशा वर्ग की उम्मीदों को पूरा करते हुए सरकार ने उसे आयकर में बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्री सीतारमण ने शनिवार को लोकसभा में बजट पेश करते हुए घोषणा की कि 5 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त (tax free) कर दिया गया है।
नया आयकर स्लैब
A. 5 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं को अब किसी तरह के टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा। पुरानी व्यवस्था में यह रकम 2.5 लाख रुपये थी।
B. 5 से 7.5 लाख रुपये की सालाना आय पर 10 प्रतिशत कर का भुगतान करना होगा।
C. 7.5 लाख से 10 लाख रुपये की कमाई पर 15 प्रतिशत टैक्स का भुगतान करना होगा। पुरानी व्यवस्था में कर की दर 20 प्रतिशत थी।
D. 10 लाख से 12.5 लाख रुपये की वार्षिक आय पर नई टैक्स व्यवस्था में 20 प्रतिशत का भुगतान करना होगा जो पहले 30 प्रतिशत था।
E. 12.5 से 15 लाख रुपये की सालाना आय पर अब 25 प्रतिशत टैक्स का भुगतान करना होगा।
F. 15 लाख रुपये से ऊपर की टैक्सेबल इनकम पर पहले की तरह ही 30% की दर से टैक्स लगता रहेगा।
नई टैक्स व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक होगी। जिस व्यक्ति की सालाना आय 15 लाख रुपये है और वह किसी तरह के डिडक्शंस का लाभ नहीं ले रहा है, उसे सालाना 2.73 लाख रुपये की जगह अब 1.95 लाख रुपये का भुगतान करना होगा।
आयकर के पुराने स्लैब में जहां 2.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है, वहीं 2.5-5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत कर का भुगतान करना पड़ता है। 5-10 लाख रुपये के टैक्स स्लैब पर 20 प्रतिशत जबकि 20 लाख रुपये से दो करोड़ रुपये की सालाना कमाई वाले को 30 प्रतिशत कर का भुगतान करना पड़ता है। 2 करोड़ से अधिक कमाई वाले व्यक्ति को 35 प्रतिशत टैक्स का भुगतान करना होता है।
गौरतलब है कि पैनल ऑन डायरेक्ट टैक्स कोड ने टैक्स स्लैब का दायार बढ़ाए जाने की सिफारिश की थी। पिछले बजट में आयकर में किसी बदलाव की सिफारिश नहीं की गई थी, हालांकि 5 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले करदाताओं को 12,500 रुपये का रिबेट दिया गया था। 2019-20 के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की रकम 50,000 रुपये रखी गई थी।
बजट में की गई इन घोषणाओं से उपभोक्ता मांग और निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। मांग और निवेश में कमी की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को बेहद खराब दौर का सामना करना पड़ा है। जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट कम होकर 4.5 प्रतिशत हो चुकी है।
कमजोर आर्थिक परिदृश्य की वजह से कई अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारत के ग्रोथ रेट में कटौती कर चुकी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत के ग्रोथ रेट को 5.8 फीसदी से घटाकर 4.8 प्रतिशत, कर दिया है।