ले बुरजे। जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में शनिवार को समझौते का एक महत्वाकांक्षी अंतिम मसौदा पेश किया गया जिसमें वैश्विक तापमान की सीमा दो डिग्री सेल्सियस से बहुत कम करने और इस समस्या से निपटने के लिए विकासशील देशों की मदद के लिए वर्ष 2020 से सौ अरब डॉलर प्रति वर्ष देने की प्रतिबद्धता का प्रस्ताव है।
संभावना है कि दो डिग्री सेल्सियस से बहुत कम और यहां तक कि महत्वाकांक्षी 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य भारत और चीन जैसे विकासशील देशों को स्वीकार्य नहीं हो क्योंकि ये देश दो डिग्री सेल्सियस की सीमा को तरजीह देंगे ताकि उन्हें लंबे समय तक कोयला जैसे ईंधन जलाने को मिले।
दुनियाभर के 195 देशों के प्रतिनिधियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच, फ्रांस के विदेश मंत्री लॉरेंट फैबियस और राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने ऐतिहासिक समझौते का मसौदा प्रस्तुत करते हुए वहां मौजूद सदस्यों से इसे मंजूरी देने की अपील की।प्रतिनिधियों को दस्तावेज पर गौर करने के लिए दिये गये तीन घंटे के समयान्तराल के बीच ओलांद ने समझौते के लिए भारत को राजी करने के स्पष्ट प्रयास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ओलांद ने समझौते की ताजा स्थिति पर चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने इस भावना की तारीफ की।’ 13 दिन की बातचीत के बाद फैबियस ने अंतिम मसौदे के दस्तावेज को न्यायोचित, स्थिर और कानूनी रूप से बाध्यकारी बताया।