yogi adityanath
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नई दिल्ली। गोरक्षपीठ के प्रमुख महंत आदित्यनाथ योगी अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं। ये पहला मौका है जब किसी धार्मिक स्थल का प्रमुख किसी राज्य का सीएम हो। योगी आदित्यनाथ जिस गोरक्षपीठ के महंत है उसकी राजनीतिक भागीदारी कोई नई नहीं है। आज हम आपको बताते हैं गोरक्षपीठ का पॉलिटिकल लिंक।

महंत दिग्विजय नाथ का कांग्रेस कनेक्शन
आज से 96 साल पहले, यानि साल 1921 में गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजय नाथ ने कांग्रेस में शामिल होकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। महंत का कांग्रेस से साथ करीब 16 साल तक रहा। इस दौरान अंग्रेजों ने चैरी-चैरा मामले में उन्हें गिफ्तार भी किया था। ब्रिटिश पुलिस कर्मियों के साथ हुई झड़प के बाद लोगों ने थाने में आग लगा थी, महंत दिग्विजय पर उस भीड़ में शामिल होने का आरोप लगा था।

राम जन्मभूमि मामले में भूमिका
महंत दिग्विजय नाथ आजादी के बाद रामजन्म भूमि मामले को जोरशोर से उठाया। बताया जाता है कि साल 1949 में विवादित ढांचे में राम-सीता की मूर्ति स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका रही। आजादी के बाद महंत दिग्विजय नाथ को महात्मा गांधी के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

हिंदू महासभा को गोरक्षपीठ का साथ
कांग्रेस के साथ 16 साल तक आजादी की लड़ाई में भागीदार रहे महंत दिग्विजय साल 1937 में हिंदू महासभा में शामिल हो गए। साल 1967 में उन्होंने हिंदू महासभा से चुनाव लड़ा और सांसद भी बने। साल 1967 के बाद गोरक्षपीठ की राजनीतिक विरासत में महंत अवेद्यनाथ ने आगे बढ़ाया। महंत अवेद्यनाथ साल 1970 और साल 1989 में हिंदू महासभा से सांसद बने।

गोरक्षपीठ का बीजेपी कनेक्शन
1990 के अंत में बीजेपी ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया और अवैद्यनाथ हिंदू महासभा छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। साल 1991 और 1996 में महंत अवैद्यनाथ बीजेपी के टिकट पर ही सांसद चुने गए। महंत दिग्विजय नाथ और महंत अवैद्यनाथ की राजनीतिक विरासत को योगी आदित्यनाथ ही आगे बढ़ा रहे हैं। साल 1998 से लगातार पांच बार वो गोरखपुर के सांसद चुने गए है और अब सूबे के मुख्यमंत्री हैं।

 

जीन्यूज से साभार
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