नई दिल्ली। विभिन्न देशों की सरकारों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के समन्वित प्रयासों और आम लोगों में आई जागरूकता की वजह से कोरोना वायरस (COVID-19) संक्रमण पर भले ही अगले कुछ महीनों में काबू पा लिया जाए पर इसके कई अन्य गंभीर दुष्परिणाम भी होंगे। न केवल कई देशों की अर्थव्यवस्था कई दशक पीछे जा सकती है बल्कि दुनियाभार में ढाई करोड़ लोग बोरोजगार भी हो सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अपनी प्रारंभिक मूल्यांकतन रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। हालांकि उसने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित नीति प्रतिक्रिया से वैश्विक बेरोजगारी के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। ILO ने इसके लिए तीन स्तंभों पर तत्काल बड़े पैमाने पर समन्वय बनाने की बात कही जिनमें कार्यस्थल पर श्रमिकों की सुरक्षा, प्रेरक और रोजगार वाली अर्थव्यवस्था तथा सहायक नौकरियों और आय पर फोकस करना शामिल हैं। ILO ने कहा कि इन उपायों में सामाजिक सुरक्षा देना, रोजगार को बनाए रखने की शक्ति (यानी कम समय का काम, पैसे के साथ छुट्टी, अन्य सब्सिडी) लघु और मध्यम आकार के उद्यमों के लिए वित्तीय और कर राहत शामिल हैं। इसमें राजकोषीय और मौद्रिक नीति उपायों और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों के लिए कर्ज और वित्तीय सहायता का भी प्रस्ताव शामिल है।
आईएलओ ने इसके साथ ही ही कहा है कि अगर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलकर इसे काबू करने में सक्षम होते हैं तो (जैसा 2008/9 के वैश्विक वित्तीय संकट में हुआ था) वैश्विक बेरोजगारी का प्रभाव काफी कम हो सकता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि कोरोनोवायरस के कारण बेरोजगारी और अल्प रोजगार कैसे प्रभावित होगी।
वैश्विक जीडीपी विकास पर COVID -19 के प्रभाव को अलग-अलग परिदृश्य में देखने पर आईएलओ का अनुमान है कि 2019 के 18 करोड़ 80 लाख के आधार स्तर पर 53 लाख (“कम” परिदृश्य) और 2 करोड़ 47 लाख (“उच्च” परिदृश्य) के बीच वैश्विक बेरोजगारी में वृद्धि के संकेत हैं। तुलनात्मक रूप से 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट ने वैश्विक बेरोजगारी में 2 करोड़ 20 लाख की वृद्धि की। बता दें कि बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों में स्व-रोजगार, जो अक्सर बदलाव के प्रभाव को कम करने में कारगर साबित होते हैं, इस बार ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि लोगों के आने जाने और माल की आवाजाही पर प्रतिबंध है। इसमें कहा गया है कि रोजगार में गिरावट का मतलब है कि श्रमिकों के लिए 2020 तक 860 अरब अमेरिकी डॉलर और 3.4 ट्रिलियन के बीच आय का बड़ा नुकसान हो सकता है।
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