सुषमा ने रूस-भारत-चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों की त्रिपक्षीय बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में यह मुद्दा उठाया और कहा कि बीजिंग अपने रुख की समीक्षा करे। वांग और रूसी विदेश मंत्री सरगेई लावारोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सुषमा ने कहा, ‘मैंने उनसे (वांग) कहा कि अगर हम आतंकवाद का मुकाबला करने के अपने इरादे को पूरा करना चाहते हैं तो चीन को संयुक्त राष्ट्र 1267 समिति पर लिए अपने रुख की समीक्षा करनी चाहिए।’
वांग के साथ मुलाकात में सुषमा ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन को मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि दोनों देशों में इस पर सहमति बनी थी कि दोनों पक्ष इस मामले पर एक दूसरे से संपर्क में रहेंगे।
पिछले साल जुलाई में, चीन ने भारत के उस कदम को भी अवरूद्ध कर दिया था, जिसके तहत उसने मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड जकीउर रहमान लखवी की रिहाई के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र को कार्रवाई करने के लिए कहा था। तब चीन ने कहा था कि उसका यह रूख ‘‘तथ्यों पर आधारित था और वास्तविकता एवं निष्पक्षता के अनुरूप था।’’ इसके साथ ही बीजिंग ने एक बार फिर यह दावा किया था कि वह नयी दिल्ली के संपर्क में है। आरआईसी की बैठक को संबोधित करते हुए सुषमा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आगाह किया कि अगर उसने इस समस्या से निपटने में ‘दोहरा मापदंड’ अपनाना जारी रखा तो इसके ‘गंभीर परिणाम’ होंगे।
सुषमा ने कहा, ‘‘भारत का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निरंतर बना हुआ है। आरआईसी देशों को संयुक्त राष्ट्र सहित सभी मंचों पर साझा कार्रवाई के जरिए आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ लाने में नेतृत्व करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस संदर्भ में विफल नहीं होना चाहिए। अगर हम आतंकवाद से निपटने में दोहरा मापदंड अपनाना जारी रखते हैं तो इसका न सिर्फ हमारे खुद के देशों, बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर नतीजे होंगे।’’ वांग और रूसी विदेश मंत्री सरगेई लावारोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में सुषमा ने कहा कि आतंकवद का मुकाबला करने के लिए एक प्रभावी वैश्विक रणनीति बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत, रूस और चीन आतंकवाद के शिकार रहे हैं। यह हमारे लिए स्वाभाविक है कि हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए एकजुट हों। इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम ‘अच्छे’ और ‘बुरे’ आतंकवादियों के बीच फर्क करना छोड़ें। हमें ‘मेरे आतंकवादी’ और ‘तुम्हारे आतंकवादी’ में अंतर करने के चलन को भी खत्म करना होगा।’’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार के बारे में सुषमा ने कहा कि इस मुद्दे पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है तथा उन्होंने इसमें रूस और चीन का सहयोग मांगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि वैश्विक आर्थिक मंदी ने तीनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए कई मुद्दे पैदा किए हैं और तेज प्रगति के लिए इन्हें हाथ मिलाना चाहिए।
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