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नेपाल की जमीन निगल रहा ड्रैगन, जानिये क्या है मामला

काठमांडू। (China occupied 158 acres of Nepal land) “ऐसा कोई सगा नहीं जिसको ड्रैगन ने ठगा नहीं।” चीन सचमुच किसी का सगा नहीं है। ज्यादा नहीं, बस नेपाल की ओर देख लीजिये। ऐसे समय में जब उसके उकसाने पर नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार भारत की कुछ जमीन पर अपना दावा ठोक रही है, चीन ने नेपाल की 158 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि नेपाल के ही तीन सांसदों ने सरकार को पत्र लिखकर यह मामला उठाया है और चीन से जमीन वापस लेने की मांग की है।

दरअसल, नेपाल के कुछ इलाकों पर चीन का कब्जा सामने आने के बाद इसके खिलाफ आवाज उठने लगी है। जैसे-जैसे आम लोगों तक इसकी जानकारी पहुंच रही है, सरकार के खुलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के तीन सांसदों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को चिट्ठी लिखकर चीन से जमीन वापस लेने की मांग की है। सांसदों के मुताबिक, चीन ने नेपाल के कई जिलों की 64 हेक्टेयर (करीब 158 एकड़) जमीन पर कब्जा कर लिया है। इनमें हुमला, सिंधुपालचौक, गोरखा और रसुवा जिले शामिल हैं। यह चिट्ठी प्रतिनिधि सभा के सचिव के जरिए प्रधानमंत्री तक पहुंचाई गई है। 

इन सांसदों ने पत्र में कहा है,चीन और नेपाल सीमा पर मौजूद पिलर नंबर 35 को चीन ने अपनी तरफ शिफ्ट कर लिया है। इससे गोरखा जिले का रुई गुवान गांव उसके कब्जे में चला गया। अब इस गांव के 72 परिवार चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) के नागरिक बताए जा रहे हैं। दार्चुला जिले के 18 घरों पर भी चीन दावा कर रहा है।”

स्थानीय अखबार अन्नपूर्णा पोस्टने किया था खुलासा

नेपाल की जमीन पर चीन के कब्जे का खुलासा बुधवार को स्थानीय अखबार “अन्नपूर्णा पोस्ट” ने किया था। अखबार के मुताबिक, रुई गुवान गांव में चीन का राज चल रहा है।  नेपाल की सरकार ने कभी इसका विरोध नहीं किया। नेपाल सरकार के आधिकारिक नक्शे में भी यह गांव नेपाल की सीमा के भीतर ही दिखाया गया है। गोरखा जिले के राजस्व कारायलय में भी रुई गुवान गांव के लोगों से टैक्स वसूली के दस्तावेज हैं। हालांकि, यहां नेपाल सरकार ज्यादा सक्रिय नहीं है। शायद यही वजह है कि इस इलाके पर चीन ने कब्जा कर लिया है।

चीन ने नेपाल के जिन इलाकों पर कब्जा किया है उनको लेकर उसका कभी नेपाल से समझौता भी नहीं हुआ। यह सिर्फ सरकारी लापरवाही का नतीजा है। दोनों देशों ने सीमाएं तय करने और पिलर लगाने के लिए 1960 में काम शुरू किया था लेकिन जानबूझकर पिलर नंबर 35 को ऐसी जगह लगाया गया जिससे नेपाल का इलाका चीन में चला गया। इसके अलावा चीन अब चेकम्पार सीमा के कई इलाकों पर भी पिलर लगाकर मार्किंग कर रहा है। 

gajendra tripathi

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