नई दिल्ली। शुक्रवार को पेश किए जाने वाले नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले आम बजट से एक दिन पहले गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में आर्थिक सर्वेक्षण (2018-19) प्रस्तुत किया। इसके अनुसार, इस साल जनवरी से मार्च के बीच मंदी का कारण चुनाव की अनिश्चितता रहा है। साथ ही एनबीएफसी संकट के कारण विकास दर में कमी आई। सर्वेक्षण के अनुसार इन्वेस्टमेंट दर अपने निचले स्तर पर पहुंची है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 में फिस्कल डेफिसिट के 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह वित्त वर्ष 2018 में 6.4 प्रतिशत था। सर्वे में कहा गया कि खाद्य सामग्री के दाम कम होने की वजह से किसानों ने उत्पादन कम किया है। इस साल विकास दर के 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक ग्रोथ रेट कम होने और व्यापार पर बढ़ती अनिश्चितता का असर निर्यात पर देखने को मिल सकता है। साथ ही कहा गया है कि वस्तु एवं लेवा कर (जीएसटी) और फार्म स्कीम ने विकास को धीमा किया है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, देश की विकास दर वित्त वर्ष 2020 में बढ़ने की उम्मीद है। यह इस वित्त वर्ष में यह सात प्रतिशत रह सकती है। एनपीए में गिरावट से कैपेक्स सायकल बढ़ने की उम्मीद है। आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2020 में तेल की कीमतों के कम रहने का अनुमान भी लगाया गया है। सर्वे में यह भी बताया गया कि पिछले पांच साल में जीडीपी की औसत दर 7.5 प्रतिशत रही है।
आर्थिक सर्वेक्षण पेश करने से पहले भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा, “हमारी टीम ने मेहनत और लगन से काम किया है। उम्मीद करता हूं कि परीणाम भी अच्छा आए और हम अर्थव्यवस्था में सहयोग कर सकें। उम्मीद करता हूं कि ईश्वर हम पर कृपा बनाए रखेंगे।”
यह आर्थिक सर्वेक्षण ऐसे समय में पेश हुआ है जब इस साल जनवरी से मार्च की तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच साल में सबसे कम 5.8 प्रतिशत हो गई थी। साथ ही अर्थव्यवस्था इस समय विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना कर रही है।
1. वित्तीय वर्ष 19-20 में ग्रोथ बेहतर रहने की उम्मीद
2. वित्तीय वर्ष 19-20 में जीडीपी विकास दर 7% रहने का अनुमान
3. वित्तीय वर्ष 19-20 में निवेश बढ़ने की उम्मीद
4. कच्चे तेल की कीमतों में कमी की उम्मीद
5. 2018 से ही ग्रामीण विकास ने रफ्तार पकड़ी
6. मांग बढ़ने से निवेश में तेजी आएगी
7. पिछले 5 साल में 7.5% की औसत जीडीपी विकास दर
8. तेल कीमतों की कमी से खपत बढ़ेगी
9. ग्लोबल ट्रेड टेंशन का एक्सपोर्ट पर असर होगा
10. वित्तीय वर्ष 2025 तक जीडीपी विकास दर 8% बरकरार रखने की जरूरत
11. वित्तीय वर्ष 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य
12. NBFC सेक्टर में दबाव का ग्रोथ पर असर
13. FY20 में इकोनॉमी के लिए कई वित्तीय चुनौतियां
14. वित्तीय वर्ष 19-20 में इकोनॉमी के लिए कई वित्तीय चुनौतियां. धीमी ग्रोथ, जीएसटी, कृषि योजनाओं का असर होगा
15.वित्तीय वर्ष 2021 में 3% वित्तीय घाटे का लक्ष्य
16. वित्तीय वर्ष 19-20 ग्रोथ धीमी रही तो राजस्व पर असर होगा.
बजट से ठीक पहले संसद में आर्थिक सर्वे के जरिए देश की आर्थिक दशा की तस्वीर पेश की जाती है। इसमें बताया जाता है कि पिछले 12 महीने के दौरान देश में विकास की क्या स्थिति रही है और योजनाओं को किस तरह अमली जामा पहनाया गया। आर्थिक सर्वेक्षण से पिछले साल की आर्थिक प्रगति का लेखा जोखा तो मिलता ही है, नए वित्त वर्ष में आर्थिक विकास का क्या रास्ता होगा, इसका अनुमान भी लग जाता है। यह संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत किया जाता है।
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