नई दिल्ली। अमेरिका से शुरू होकर पूरे यूरोप में फैल चुके नस्लभेद विरोधी आंदोलन के चलते सौंदर्य प्रसाधन खासकर “चेहरा चमकाने” की क्रीम बनाने का दावा करने वाली कंपनियां बैकफुट पर हैं। पिछले ही दिनों जॉनसन एंड जॉनसन ने ऐसे उत्पादों को बेचना बंद करने का फैसला किया था जिनके विज्ञापन में काले धब्बे कम करने का दावा किया जाता है। इसी कड़ी में अब हिंदुस्तान यूनीलीवरने अपने सुपरहिट ब्रांड फेयर एंड लवली (fair & lovely) से फेयर शब्द हटाने की घोषणा कर दी है। कंपनी ने नए नाम के लिए आवेदन भी कर दिया है लेकिन अभी उसे स्वीकृति नहीं मिल सकी है।

गौरतलब है कि फेयर एंड लवली फेस क्रीम को लेकर कंपनी का दावा रहा है कि यह गोरा बनाती है। इसी दावे पर सवाल उठ रहे हैं। मांग उठ रही है कि कंपनी यह बताए कि उसकी इस क्रीम को लगाने से अब तक कितने लोगों की त्वचा गोरी हुई है। साथ ही यह भी आरोप है कि गोरा बनाने का दावा एक तरह का नस्लभेद है। उधर हिंदुस्तान यूनीलीवर ने कहा है कि उस पर कई सालों से ऐसे आरोप लग रहे हैं कि वह दुराग्रह पैदा कर रही है। इसी के चलते अब उसने यह बड़ा फैसला किया है।

हिंदुस्तान यूनीलीवर के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर संजीव मेहता ने कहा कि 2019 में कंपनी ने दो चेहरे वाले कैमियो और शेड गाइड को हटा दिया था। उसकी वजह से एक सकारात्मक असर देखने को मिला था और ग्राहकों को भरपूर समर्थन भी मिला था। 

हिंदुस्तान यूनीलीवर ने वर्ष1975 में फेयर एंड लवली क्रीम को बाजार में उतारा था। इस क्रीम की लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि इसके पास बाजार का 50-70 प्रतिशत हिस्सा है। वर्ष 2016 में फेयर एंड लवली ने 2000 करोड़ रुपये क्लब में भी एंट्री मार ली थी।

दरअसल, अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस उत्पीड़ने से हुई मौत के चलते पिछले कुछ हफ्तों से भारी नाराजगी देखने को मिल रही थी। दुनिया भर में अश्वेत लोगों से भेदभाव की बातों पर चर्चा होने लगी। अमेरिका में तो हिंसा तक हो गई। विरोध की यह आग यूरोपीय देशों और कनाडा में फैल चुकी है।

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