नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुद्रास्फीति में आई नरमी को देखते हुए गुरुवार को लगातार दूसरी बार नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। इससे रेपो रेट पिछले एक साल के निचले स्तर पर आ गई है। ब्याज दरों में हुई इस कटौती के बाद बैंकों को लोन की दरों को सस्ता करना होगा जिसका सीधा लाभ आम आदमी को कम ईएमआई के रूप में मिलेगा।
तीन दिन तक चली बैठक के बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की। इस कटौती के बाद रेपो रेट घटकर 6 प्रतिशत हो गया है। आरबीआई ने इसके साथ ही नीतिगत रुख को ”न्यूट्रल” पर ही बरकरार रखा है। दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 4-2 के बहुमत से रेपो रेट में कटौती का फैसला लिया।
आरबीआई ने पिछली बैठक में अप्रत्याशित रूप से रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की घोषणा करते हुए इसे 6.50 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था। इसी के साथ मौद्रिक रुख को ”सख्त” से बदलकर ”सामान्य/न्यूट्रल” कर दिया था। नीतिगत रुख में बदलाव किए जाने के बाद माना जा रहा था कि केंद्रीय बैंक आगे भी ब्याज दरों में कटौती की राहत दे सकता है।
आरबीआई ने महंगाई के लिए 4 प्रतिशत (+- दो फीसद) का लक्ष्य रखा है। पिछले सात महीनों में महंगाई दर आरबीआई के तय लक्ष्य से काफी नीचे रही है। ब्याज दरों को तय करने वक्त आरबीआई खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है।
गौरतलब है कि दिसंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़े आने के बाद सरकार ने पिछले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी अनुमान को घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले यह अनुमान 7.2 प्रतिशत का था।
भारत ने यह अनुमान वैसे समय में घटाया है, जब लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट आई है। जीडीपी में आई गिरावट के बाद माना जा रहा था कि अगली समीक्षा बैठक में आरबीआई का पूरा फोकस महंगाई की बजाए ग्रोथ पर होगा।
कम होंगी ईएमआई
लगातार दो बैठकों में रेपो रेट में कटौती के बाद बैकों पर ब्याज दरों को कम करने का दबाव बढ़ गया है। केंद्रीय बैंक इससे पहले भी बैंकों द्वारा रेपो रेट में कटौती का लाभ ग्राहकों को नहीं दिए जाने को लेकर चिंता जता चुका है। इस कटौती के बाद ग्राहकों को ईएमआई में बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि हाल ही में भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने एक लाख रुपये से अधिक की सेविंग डिपॉजिट की दरों को रेपो रेट से जोड़ दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि रेपो रेट में होने वाले बदलाव के साथ ही इन दरों में बदलाव होगा।
उद्योग जगत ने की थी कटौती की वकालत
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास इससे पहले उद्योग संगठनों, जमाकर्ताओं के संगठन, एमएसएमई के प्रतिनिधियों, बैंक अधिकारियों समेत विभिन्न पक्षों के साथ बैठक कर चुके थे। चूंकि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के दायरे में बनी हुई है, इस कारण उद्योग जगत एक बार और रेपो रेट कम करने की वकालत कर रहे थे। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रमुख (पीसीजी एवं पूंजी बाजार रणनीति) वीके शर्मा ने कहा कि बाजार रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती व परिदृश्य बदलकर सामान्य करने के अनुकूल है। तरलता में अनुमानित सुधार और ब्याज दरों में कटौती बाजार के लिए अच्छी होगी।
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