मुंबई, 25 अगस्त। दुनिया के बाजारों में सबसे बड़ी गिरावट के एक दिन बाद भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने आशंकाओं को दूर करने की कोशिश में कहा कि यह अस्थाई समस्या है जो वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के एक-दूसरे से जुड़े होने की वजह से पैदा हुई है। भारत किसी भी तरह के बाहरी झटकों को झेलने में सक्षम है।
मूंदड़ा ने यहां बैंकरों के सम्मेलन में संवाददाताओं से यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘दो साल पहले और आज की स्थिति के हिसाब से, चाहे वह विदेशी मुद्रा भंडार हो या चालू खाते के घाटे की स्थिति और भविष्य में जिंस कीमतों के हालात को मद्देनजर रखते हुए मेरा मानना है कि मध्यम से दीर्घकालिक अवधि के लिहाज से हम सही राह पर हैं।’ उन्होंने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक का सुधार एजेंडा सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने बाजार के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश करते हए कहा, ‘हम हमेशा से यह बताते आए हैं कि हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हम वैश्विक घटनाक्रम से अछूते नहीं रह सकते। हम दुनियाभर में एक-दूसरे से जुड़े बाजारों में हैं और कुछ अवसरों पर इस तरह की चीजें घटित होंगी। लेकिन मेरी राय में समाधान तो मध्यम और दीर्घकालिक नीतियों का मिश्रण ही है।’
इसी के साथ मूंदड़ा ने कहा कि धन जुटाने के इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के नियमन के लिए विधेयक लाए जाने की जरूरत है। मूंदड़ा का यह बयान ऐसे समय में आया है जबकि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने हाल ही में क्राउड फंडिंग सहित उदीयमान वित्तीय माध्यमों को लेकर चिंता जताई थी।
उन्होंने कहा, ‘व्यक्तियों के व्यवहार और इच्छाओं का नियमन लगभग असंभव है, इसलिए नियामकीय प्राधिकारों के लिए यह अधिक व्यावहारिक होगा कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में उचित नियामकीय बदलाव करें जो इलेक्ट्रॉनिक डीलिंग प्लेटफॉर्म का नियमन सुनिश्चित करे।’