लंदन, 6 नवंबर। एक भारतीय छात्र ने शिशुओं को रखने के लिए कम लागत वाला गत्ते से बना एक ऐसा इन्क्यूबेटर विकसित किया है जो कि भारत जैसे उन कई देशों में लाखों बच्चों की जान बचाने में मददगार हो सकता है जहां समय से पूर्व जन्मे और कम वजन के नवजात शिशुओं के लिए जमीनी स्तर की ढांचागत सुविधाएं नहीं हैं।
इम्पीरियल कॉलेज लंदन अैर रॉयल कॉलेज ऑफ आर्ट में इनोवेशन डिजाइन इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर के लिए दोहरे डिग्री कोर्स की पढाई कर रहे मालव सांघवी ने लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में आयोजित प्रतियोगिता में अपने बेबीलाइफबॉक्स के लिए तीसरा पुरस्कार जीता।
सांघवी ने कहा, ‘‘ बेबी लाइफ बॉक्स शिशुओं को रखने के लिए कम लागत से बनने वाला इन्क्यूबेटर है जो जमीनी स्तर पर नवजात शिशुओं को मूलभूत देखभाल मुहैया कराता है। विश्व में जन्म के बाद शुरूआती 24 घंटों में मरने वाले शिशुओं की संख्या के मामले में भारत सबसे उपर है। भारत में हर वर्ष ऐसे तीन लाख शिशुओं की मौत हो जाती है।’’
अहमदाबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी) से स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले सांघवी ने कहा, ‘‘ हमारे प्रारंभिक अनुसंधान से हमें पता चला कि भारत की स्वास्थ्य देखभाल सेवा के पास उपकेंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में शिशु जन्म की आम परिस्थितियों से निपटने की सुविधाएं हैं लेकिन इसके पास समय से पूर्व जन्मे एवं कम वजन के नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए बुनियादी ढांचे की कमी है।’’ सांघवी ने इम्पीरियल कॉलेज लंदन के हैकस्पेस कार्यक्रम से मिले मात्र 500 पाउंड की मदद से यह नमूना बनाया है और वह अब डब्ल्यूएचओ, यूनीसेफ, रेड क्रॉस और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसे संगठनों के सहयोग से बड़े स्तर पर इसे बनाना चाहते हैं।