नई दिल्ली। यह पारदर्शिता की ओर सरकार का एक और कदम है तो बीमा पॉलिसी धारकों के लिए खुशखबरी। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (
Insurance Regulatory and Development Authority (IRDA)) यानी IRDA ने आदेश दिया है कि बीमा कंपनियों को आगामी एक जुलाई से पॉलिसी धारक के साथ उसके दावे के निपटान की स्थिति के बारे में जानकारी साझा करनी होगी। पॉलिसीधारक को उसके बीमा दावे के विभिन्न चरणों की स्थिति के बारे में बताना होगा। बीमा कंपनियों को एक जुलाई 2019 से यह व्यवस्था लागू करनी होगी।
इरड़ा ने एक परिपत्र में कहा कि बीमा कंपनियों को पालिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए स्पष्ट और पारदर्शी नीति अपनाने की जरूरत है। पालिसीधारकों के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे उन्हें यह पता चल जाए कि दावा आवेदन की स्थिति क्या है।
दावे की स्थिति के बारे में सही और पूरी जानकारी दी जाए
बीमा नियामक ने कहा है कि निष्पक्ष और पारदर्शी दावा निपटान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सभी बीमा कंपनियों को दावों के निपटान की स्थिति के बारे में जानकारी देनी होगी। पालिसीधारकों को यह बताना होगा कि प्रसंस्करण (Processing) के विभिन्न चरणों में दावों की क्या स्थिति है। इरडा ने कहा कि स्वास्थ्य बीमा के मामले में जहां दावा सेवा के लिए तीसरे पक्ष प्रशासक को जिम्मेदारी दी गई है, वहां यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनियों की होगी कि दावाकर्ताओं को दावे की स्थिति के बारे में सही और पूरी जानकारी मिले। उन्हें दावा निपटान के विभिन्न चरणों में आवेदन की स्थिति के बारे में आवेदक यानी पॉलिसीधारक को जानकारी देनी होगी।
पत्र, ई-मेल, एसएमएस व अन्य मंजूरी प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक तरीके का करें इस्तेमाल
इरड़ा ने जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा और साधारण बीमा करने वाली सभी कंपनियों को आदेश दिया है कि वे पालिसी जारी होने तथा बीमा प्रीमियम भुगतान के बारे में पत्र, ई-मेल, एसएमएस या अन्य मंजूरी प्राप्त इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ग्राहकों को सूचना देंगी। स्वस्थ्य बीमा के मामले में जहां स्वास्थ्य सेवाओं के लिए टीपीए की सेवा ली जाती है, बीमा कंपनियां यह सुनिश्चित करेंगी कि आईडी कार्ड जारी होने समेत सभी संबद्ध सूचनाएं या तो थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा भेजी जाएं या संबंधित बीमा कंपनी स्वयं यह काम करे। बीमा कंपनियों को सतर्कता संदेश (Alert message) के अलावा अपने ग्राहकों को जागरूक करने को लेकर संक्षेप में संदेश भी देना होगा।इसके लिए सरल, पढ़ने में आसान और समझने योग्य भाषा का इस्तेमाल करना है। जहां भी व्यवहारिक हो, सूचना क्षेत्रीय या स्थानीय भाषा में दी जानी चाहिए।