वाराणसी। काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मामले में गुरुवार को वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक की अदालत ने विवादित ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश पारित किया। इस फैसले के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI,एएसआई) अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तरह ज्ञानवापी मस्जिद की प्रमाणिकता को परखेगा। जांच का खर्च राज्य सरकार उठाएगी।

प्राचीन मूर्ति स्वयंभू आदि विशेश्वर पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि अदालत ने केंद्र सरकार और उत्तर सरकार को पत्र के जरिए इस मामले में पुरातत्व विभाग की पांच सदस्यीय टीम बनाकर पूरे परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। उन्होंने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पुरातात्विक सर्वेक्षण के बाद यह साफ हो जाएगा कि विवादित स्थल कोई मस्जिद नहीं, बल्कि आदि विशेश्वर महादेव का मंदिर है।

2 अप्रैल को पूरी हुई थी बहस

ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण की याचिका पर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में बीते 2 अप्रैल को बहस पूरी हुई थी। अदालत ने इस मामले में सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद फैलसा सुरक्षित किया था। अदालत में काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी, सुनील रस्तोगी और राजेन्द्र पांडेय ने पक्ष रखते हुए कहा था कि पुरातात्विक साक्ष्य के लिए ऐसा करना न्यायोचित है।

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद (ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष) और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकीलों ने विवादित ढांचे के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। मस्जिद पक्ष की दलीलों को दरकिनार कर अदालत ने गुरुवार को इस मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया।

मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण लगभग 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था। मुगल सम्राट औरंगजेब ने 1664 में मंदिर को नष्ट कर दिया था। इसके बाद यहां ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई थी। याचिकाकर्ता ने अदालत से मंदिर की जमीन से मस्जिद को हटाने और मंदिर ट्रस्ट को कब्जा वापस देने की मांग की थी।

दूसरे पक्ष ने जताई थी आपत्ति

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद (ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष) और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकीलों ने विवादित ढांचे के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराए जाने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी। मस्जिद पक्ष की दलीलों को दरकिनार कर अदालत ने गुरुवार को इस मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया।

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