UP विधानसभा में पारित हुए ‘UPCOCA’ कानून की प्रमुख बातें

लखनऊ। संगठित अपराध पर लगाम कसने के मकसद से लाए गए ‘यूपीकोका विधेयक’ को मंगलवार (27 मार्च) को पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस बिल को सदन में पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित किया गया. बता दें, ‘यूपीकोका विधेयक’ को इससे पहले भी सदन में पेश किया जा चुका है। पहली बार जब इस विधेयक को पेश किया गया था तब उसे विधानसभा से तो मंजूरी मिल गई थी, लेकिन विधान परिषद से विधेयक को मंजूरी नहीं मिल पाई थी। विधेयक को कानून का रूप देने के लिए अब केवल राज्यपाल के मंजूरी की जरूरी है।

मकोका की तरह है यूपीकोका कानून

जिस तरह से अपराध पर लगाम कसने के लिए महाराष्ट्र में ‘मकोका’ कानून है, ठीक उसी तरह उत्तर प्रदेश में यूपीकोका कानून लाया गया है। मुंबई में अंडरवर्ल्ड के आतंक से निपटने के लिए 1999 में महाराष्ट्र में मकोका कानून लागू किया गया था। इस कानून के लागू होने के बाद महाराष्ट्र में अपराध पर बहुत हद तक लगाम लग पाया। यूपीकोका कानून के तहत वसूली, किडनैपिंग, हत्या, हत्या की कोशिश समेत अन्य संगठित अपराध करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएंगे।

यूपीकोका मामलों की जांच के लिए विशेष अदालत का होगा गठन

यूपीकोका मामले के निपटारे के लिए राज्य सरकार विशेष अदालत का गठन करेगी। सरकार का कहना है कि फास्ट ट्रायल के मकसद से विशेष अदालत का गठन किया जाएगा। कानून का गलत इस्तेमाल ना हो, इसलिए मामला दर्ज करने से पहले कमिश्नर और IG स्तर के अधिकारियों की स्वीकृति जरूरी है।

अपराधियों की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है

इस कानून के तहत जरूरत पड़ने पर अपराधियों की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। हालांकि कुर्की-जब्ती की कार्रवाई कोर्ट के आदेश के बाद ही किया जा सकता है। इसके अलावा, जिन लोगों के खिलाफ यूपीकोका के तहत मामले दर्ज होंगे उन्हें सरकारी सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी। इस कानून के तहत सजा के भी कठोर प्रावधान हैं।

अपराध पर लगाम के लिए यूपीकोका जैसे कानून की जरूरत थी- योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब दोबारा इस विधेयक को सदन में पेश किया तो विरोध में विपक्षी विधायक वॉक आउट कर गए। विपक्ष इस बिल को काला कानून बता रहे हैं। ‘यूपीकोका विधेयक’ 2017 पेश करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संगठित अपराध राज्य स्तरीय नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की समस्या है। इस पर लगाम कसना बहुत जरूरी है। अपराध पर लगाम कसने के लिए हमारी सरकार की तरफ से जो कोशिशें की गई हैं वह सराहनीय है। इसके बावजूद महसूस किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश को अपराधमुक्त करने के लिए कड़े कानून की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश की सीमा नेपाल समेत कई राज्यों से मिलती है- योगी आदित्यनाथ

इस कानून की अनिवार्यता को लेकर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा राज्य है. इसकी सीमा कई राज्यों से मिलती है. इसके अलावा नेपाल से भी उत्तर प्रदेश की सीमा मिलती है. बदमाश उस रास्ते का गलत इस्तेमाल करते आ रहे हैं. सीमाएं खुली होने की वजह से अपराधी मकसद को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जाते हैं. इस तरह से संगठित अपराध का ग्रॉफ लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में यूपीकोका जैसे कानून की जरूरत थी। ताकि, हर शख्स को सुरक्षा की गारंटी दी जा सके। उन्होंने कहा कि इस कानून का दुरुपयोग संभव नहीं है।

अगर अपराध घटा, तो ऐसे कानून की क्या जरूरत?- गोविंद चौधरी

इस कानून को लेकर नेता प्रतिपक्ष गोविंद चौधरी (सपा) ने कहा कि, बीजेपी सरकार लगातार कहती आ रही है कि उत्तर प्रदेश में अपराध पर बहुत हद तक लगाम लग चुका है। ऐसे में जब अपराध का ग्राफ घटा है और प्रदेश की जनता खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रही है तो इस कानून को लाने की क्या जरूरत है? उन्होंने कहा कि यह कानून जनता को परेशान करने वाला और पुलिस की जेब भरने वाला है।

मायावती ने खुद मुख्यमंत्री रहते हुए इस विधेयक को पेश किया था- बीजेपी प्रवक्ता

इस कानून को लेकर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि मायावती जब प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तब वह खुद ये कानून लेकर आई थीं। उस वक्त सपा और कांग्रेस ने इस कानून को पास नहीं होने दिया था। अब बीजेपी जब इस कानून को लेकर आई तो, गठबंधन के बाद सपा और बसपा भी कानून के विरोध आ गई। हालांकि हमने एक मजबूत कानून लाकर प्रदेश की कानून व्यवस्था में ऐतिहासिक इबारत लिख दी है। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले हमने वादा किया था कि उत्तर प्रदेश में सुशासन कायम करेंगे। इस कानून के जरिए सरकार अपना वादा पूरा करने जा रह है।

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