Ganesh Chaturthi 2019: देशभर में गणेश चतुर्थी का ये पावन पर्व आज 2 सितंबर को मनाया जा रहा है। ये पर्व 11 दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्थी के दिन यानी कि 12 सितंबर को गणपति के विसर्जन के साथ समाप्त हो जाता है। इस पर्व में भक्त गणपति की स्थापना करते हैं। इसी मौके पर आज हम आपको बताएंगे की आखिर गणेश चतुर्थी के पर्व पर घरों में गणपति की स्थापना क्यों की जाती है और उससे क्या लाभ होता है ?
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं के प्रमुख पर्वों में से एक माना जाता है। यह पर्व देशभर में मनाया जाता है, लेकिन इस पर्व को महाराष्ट्र में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू पुराणों और ग्रंथों के अनुसार इसी दिन गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं। इस पर्व भक्त अपने घरों में भगवान गणेश को स्थापित करते हैं। इतना ही नहीं कई जगहों पर तो भगवान गणेश की बड़ी-बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती हैं और इस प्रतिमा का 9 दिनों तक पूरी श्रद्धा के साथ पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में लोग गणपति के दर्शन करने पहुंचते हैं। 9 दिन बाद श्री गणेश प्रतिमा को गाजे बाजे के साथ घर से विदा किया जाता है और किसी पवित्र नदी (बहती नदी) में विसर्जित किया जाता है। इसके साथ ही उनके ये विनती की जाती है कि अगले बरस जल्दी आएं।
क्यों किया जाता है गणपति की मूर्ति को घर में स्थापित
गणपति की स्थापना के पीछे एक बेहद ही खास कहानी छूपी है, वैसे को आप में से कई लोग इस कहानी को जानते होंगे, पर जो कुछ लोग नहीं जानते उनको बताते हैं। दरअसल, हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की है, लेकिन उनके लिए उस लिखना उनके बस की बात नहीं थी। तब उन्होंने श्री गणेश जी की आराधना की और उनसे ये प्रार्थना की वो महाभारत लिखने में उनकी मदद करें। गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात महाभारत लिखने की प्रक्रिया को शुरु किया। दिन-रात बिना रुके लिखने के कारण गणेश जी को थकान होने लगी।
उनको थका हुआ देखकर वेदव्यास ने सोचा की कहीं गणपति जी के शरीर का तापमान बढ़ ना जाए, इसलिए उन्होंने उनके शरीर पर ताजी मिट्टी का लेप कर दिया। इसके बाद उनके खास ध्यान रखते उन्होंने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी की पूजा करनी भी शुरु कर दी। इसके अलावा इन दस दिनों के अंदर वेदव्यास ने गणेश जी को खाने-पीने के लिए कई प्रकार के भोजन और फल आहार दिए। कई दिनों तक ऐसा होने के बाद गणपति के शरीर से मिट्टी का लेप सूख गया और उनका शरीर अकड़ने लगा, जिसके चलते उनको पार्थिव गणेश के नाम से जाना जाने लगा। महाभारत लिखने का ये काम करीबन 10 दिनों तक चला।
क्यों किया जाता है गणपति की मूर्ति का विसर्जन
चतुर्दशी वाले दिन तक गणपति जी पूरी महाभारत लिखकर अपना काम खत्म कर चुके थे। इसी के बाद वेदव्यास ने देखा कि थकान के कारण गणपति जी के शारीरिक का तापमान काफी बढ़ने लगा था। साथ ही उनके शरीर पर लगा मिट्टी का लेप भी सूखकर झड़ने लगा था। तब वेदव्यास ने उन्हें पवित्र सरोवर यानी की बहते जल में लेजा कर उनको और उनके शरीर को शीतल किया। तब ही से गणपति स्थापना की प्रथा चल पड़ी। इसलिए गणेश चतुर्थी के मौके पर गणराज को घर में स्थापित किया जाता है और उन्हें कई प्रकार के भोजन का भोग भी लगाया जाता है।
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