— विश्व फिजियोथेरेपी दिवस 8 सितंबर —
डॉ शशांक शुक्ला
फिजियोथेरेपी यानी शरीर की मांसपेशियों, जोड़ों, हडि्डयों, नसों के दर्द या तकलीफ वाले हिस्से की वैज्ञानिक तरीके से एक्सरसाइज के माध्यम से मरीज को आराम पहुंचाना। हालांकि अधिकतर लोग मानते हैं कि केवल योग और कुछ कसरतें ही फिजियोथेरेपी होती हैं लेकिन ऐसा नहीं है। फिजियोथेरेपी में विशेषज्ञ कई तरह के व्यायाम और नई तकनीक वाली मशीनों की मदद से इलाज करते हैं। आज की जीवनशैली में हम लंबे समय तक अपनी शारीरिक प्रणालियों का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और जब शरीर की सहनशीलता नहीं रहती है तो वह तरह-तरह की बीमारियों और दर्द की चपेट में आ जाता है।
इन तकलीफों में कारगर
लाइफस्टाइल संबंधी परेशानी (मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज), क्लाइमेट चेंज से जुड़ी तकलीफें (लंबे समय तक दफ्तर के एसी में रहना, धूप के बिना रहना, लंबी सिटिंग, ऐसा वातावरण जो परेशानी को बढ़ाता है), मैकेनिकल एवं ऑर्थोपेडिक डिसऑर्डर (पीठ, कमर, गर्दन, कंधे, घुटने का दर्द या दुर्घटना के कारण भी), आहार-विहार (जोड़ों का दर्द, हार्मोनल बदलाव, पेट से जुड़ी समस्याएं), खेलकूद की चोटें, ऑर्गन डिसऑर्डर, ऑपरेशन से जुड़ी समस्याएं, न्यूरोलॉजिकल बीमारियां (मांसपेशियों का खिंचाव व उनकी कमजोरी, नसों का दर्द व उनकी ताकत कम होना), चक्कर आना, कंपन, झनझनाहट, सुन्नपन और लकवा, बढ़ती उम्र संबंधी बीमारियों के कारण चलने-फिरने में दिक्कत, बैलेंस बिगड़ना, टेंशन, सिरदर्द और अनिद्रा में फिजियोथैरेपी को अपना सकते हैं।
लंबे समय तक आराम
फिजियोथैरेपी में तुरंत इलाज संभव नहीं होता। धैर्य रखते हुए एक्सपर्ट के बताए अनुसार व्यायाम करने और जीवनशैली में बदलाव लाने से न सिर्फ मरीज को दीर्घकालिक लाभ होता है बल्कि एक्सरसाइज यानी व्यायाम उसकी जीवनशैली का नियमित हिस्सा बन जाता है। ये दोनों चीजें दवारहित जीवन और बीमारियों को दूर रखने में मददगार होती हैं।
ध्यान रहे फिजियोथेरेपी किसी कुशल एवं अनुभवी फ़िज़ियोथेरेपिस्ट से ही करवाएं।
(लेखक वरिष्ठ फिजियोथेरपिस्ट हैं)