नई दिल्ली, 7 अप्रैल। बैंको लगभग 9000 करोड़ के कर्जदार कारोबारी विजय माल्या को उच्चतम न्यायालय से बड़ा झटका लगा है। न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए माल्या से 21 अप्रैल तक अपनी सभी संपत्तियों का ब्यौरा देने का आदेश दिया है। न्यायालय ने उन्हें यह बताने का आदेश भी दिया है कि वह भारत कब आएंगे। इधर भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम ने आज शराब कारोबारी विजय माल्या और उनकी कंपनियों की सितंबर तक उच्चतम न्यायालय में मौजूदा स्वरूप में 4,000 करोड़ रुपए के भुगतान की पेशकश खारिज कर दी।
कंसोर्टियम ने उच्चतम न्यायालय से यह भी अपील की कि वह देश में माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करे ताकि यह प्रमाणित हो कि वह बकाया भुगतान के संबंध में गंभीर हैं। न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और आर एफ नरीमन की पीठ ने माल्या और उनकी कंपनियों को 21 अप्रैल तक अपना जवाब सौंपने के लिए कहा जिसमें यह संकेत हो कि अपनी प्रामाणिकता साबित करने के लिए वह कितनी राशि उच्चतम न्यायालय में जमा कर सकते हैं। पीठ ने 20 मिनट की संक्षिप्त सुनवाई के बाद अगली तारीख 26 अप्रैल तय की।
बैंकों के कंसोर्टियम ने आज सुनवाई के प्रारंभ में ही उच्चतम न्यायालय से कहा कि वे मामला निपटाने के विरोध में नहीं हैं लेकिन माल्या को देश में उपस्थित रह कर अपनी नेकनियती साबित करनी होगी। बैंकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा, ‘विजय माल्या को अपनी नेकनियती सिद्ध करने के लिए अपने आपको उपयुक्त वार्ता के लिए खुद को प्रस्तुत करना चाहिए और संभावित योजना बतानी चाहिए कि वह अमुक अमुक से धन मिलने वाला है और उसके बाद वह उसे बैंकों को देंगे।’ उन्होंने कहा, ‘उचित वार्ता के लिए उन्हें मौजूद रहना चाहिए और देश-विदेश में अपनी चल-अचल, मूर्त-अमूर्ति परिसंपत्ति का खुलासा करना चाहिए।’ दीवान ने कहा कि माल्या द्वारा मौजूदा स्वरूप में की गई पेशकश को खारिज कर दिया गया है और इसकी जानकारी उन्हें दे दी गई है। उसके बाद माल्या ने एक और प्रस्ताव कल शाम रखा। उनकी दूसरी पेशकश पर विचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि उपयुक्त वार्ता के लिए माल्या के देश में अदालत के सामने उपस्थित होने की जरूरत है ताकि यह पता चले कि वह अब क्या करना चाहते हैं।
माल्या की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने कहा कि उन्हें बैंकों के कंसोर्टियम से जवाब मिला है जिसके बाद उन्होंने पिछली शाम अपनी बात कही है। वैद्यनाथन ने कहा कि उन्हें बैंकों के कंसोर्टियम द्वारा किए गए फैसले पर और निर्देश की मांग करने के लिए और समय चाहिए। बैंकों का कंसोर्टियम उनकी दलील पर सहमत हुआ जिसके बाद पीठ ने माल्य से 21 अप्रैल तक जवाब देने के लिए कहा।