अध्ययन के अनुसार, तंबाकू आधारित उत्पादों के सेवन से होने वाली बिमारियों के कारण प्रतिवर्ष दसियों लाख लोग काल के गाल में समा जाते हैं। अध्ययन में कहा गया है, धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होने वाली मौतों में 85 प्रतिशत मौतें दक्षिण-पूर्व एशिया में होती हैं। उसमें भी अकेले भारत में 74 फीसदी मौतें होती हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया में पांच फीसदी मौतों के साथ बांग्लादेश दूसरे नंबर पर है।
शोधकर्ताओं ने 113 देशों के आंकड़े संकलित किए और इसके लिए 2010 वैश्विक रोग अध्ययन तथा ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वेक्षण से जानकारी इकट्ठा की। अध्ययन से पता चला है कि 2010 में धुआं रहित तंबाकू के सेवन से मुंह, श्वासनली और घेंघा के कैंसर के कारण 62,000 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, वहीं दिल की बीमारी के कारण 2,00,000 से भी अधिक लोगों की मौत हुई।
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