नई दिल्ली। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योगदान को जुलाई तक तीन महीने के लिए 12 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने के निर्णय को लागू कर दिया है। इससे संगठित क्षेत्र के 4.3 करोड़ कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन मिलेगा जबकि 6.5 लाख नियोक्ताओं को कोरोना वायरस संकट और लॉकडाउन के बीच तरलता (Liquidity) की कुछ राहत मिल सकेगी। इस निर्णय से अगले तीन महीनों में 6,750 करोड़ रुपये की लिक्विडिटी राहत उपलब्ध होगी।
श्रम मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि ईपीएफ योगदान में कमी मई, जून और जुलाई, 2020 के महीनों के लिए लागू होगी। ऐसे में जून, जुलाई और अगस्त में मिलने वाला वेतन अधिक होगा और नियोजकों के योगदान में भी कमी आएगी। इस कदम के पीछे का कारण बताते हुए मंत्रालय ने कहा, “कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च से ही देश में लॉकडाउन लागू है। केंद्र सरकार ने आवश्यक पूछताछ के बाद कर्मचारियों और नियोक्ताओं के हाथ में अधिक लिक्विडिटी पहुंचाने के लिए 9 अप्रैल 1997 की अधिसूचना में संशोधन का निर्णय किया है।”
इस कदम के बारे में कहा गया है कि इससे कर्मचारियों की टेक होम सैलरी (हाथ में अधिक पैसा) बढ़ेगी। लेकिन, इस फैसले पर वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से टेक होम सैलरी जरूर बढ़ेगी लेकिन कर देनदारी का बोझ भी अधिक होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत एक बड़ी घोषणा की थी। उन्होंने कर्मचारिओं के हाथ में ज्यादा वेतन पहुंचाने और नियोक्ताओं को भी बकाया पीएफ भुगतान में राहत देने के लिए ईपीएफ योगदान को घटाने की घोषणा की थी। वित्त मंत्री ने कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का ही योगदान 12-12 प्रतिशत से घटाकर 10-10 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। हालांकि, सीपीएसई और राज्यों के पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) में नियोक्ता का योगदान 12 प्रतिशत ही रखा गया है।
वित्त मंत्री ने बताया था कि ईपीएफ योगदान में कटौती की यह योजना उन कर्मचारियों के लिए भी है, जो 24 प्रतिशत ईपीएफ सपोर्ट और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज व इसके विस्तार के अंतर्गत लाभ लेने के योग्य नहीं है। उन्होंने बताया था कि ईपीएफ योगदान में कटौती की योजना से 6.5 लाख नियोक्ताओं और 4.3 करोड़ कर्मचारियों को लाभ होगा। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने छोटी कंपनियों के 15,000 से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों का ईपीएफ योगदान सरकार द्वारा दिये जाने वाली योजना का तीन महीने और विस्तार करने की घोषणा भी की थी।
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए ईपीएफओ एक बेहतरीन माध्यम है। रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त बड़ी रकम मिलती है। ईपीएफओ में योगदान कम करने से रिटायरमेंट कॉर्पस पर भी असर होगा। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि इस कटौती से वेतनभोगी वर्ग को लाभ कम और नुकसान अधिक होगा।
पीएम गरीब कल्याण पैकेज के तहत जिन कंपनियों में 100 कर्मचारी तक मौजूद हैं और इनमें से 90 प्रतिशत कर्मचारी 15 हजार रुपये से कम महीने में कमाते हैं, ऐसी कंपनियों और उनके कर्मचारियों की ओर से EPF में योगदान मार्च से लेकर अगस्त 2020 तक के लिए केंद्र सरकार की ओर से दिया जा रहा है।
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