कैसे बने मिसाइल मैन :
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम को पूरे भारत में मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। देहरादून एयरफोर्स अकादमी में कुछ नंबर कम मिलने की वजह से वो पायलेट तो नहीं बन पायें। लेकिन देश को अग्नि जैसी मिसाइल देकर मिसाइल मैन जरुर बनें। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत के अंतरिक्ष और रक्षा विभाग के लिए अतुलनीय योगदान दिया। कलाम की वजह से ही भारत बैलेस्टिक मिसाइल और लॉन्चिंग टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बना। 1982 में कलाम को डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री का डायरेक्टर बनाया गया। उन्होंने भारत के लिए पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग, ब्रह्मोस समेत कई मिसाइल बनाई। वो कलाम ही थे जिनके डायरेक्शन में देश को पहली स्वदेशी मिसाइल मिली। यही कारण है कि आज भारत को ताकतवर देशों में गिना जाता है।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का राष्ट्रपति बनने का सफर भी शानदार रहा। 1992 में अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा विकास विभाग के सचिव बन गए। वे इस पद में 1999 तक कार्यरत रहे। उनका नाम भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों की सूची में गिना जाने लगा। वर्ष 2002 में कलाम को एनडीए घटक दलों ने राष्ट्रपति के चुनाव के समय अपना उम्मीदवार बनाया। जिसका सब ने समर्थन किया और 18 जुलाई 2002 को एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। कलाम ने बहुत सी किताबें भी लिखी। जिसमें विंग्स ऑफ फायर, मिशन इंडिया, इंडिया 20-20 प्रमुख है। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को भारत सरकार द्वारा देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया।
डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम, उस शख्सियत का नाम है,जो जीवनभर ज्ञान के भूखे रहे और जिसमें दूसरों के भीतर भी ज्ञान की भूख जगाने की अद्भुत क्षमता थी। जिसने हमेशा विकास की बात की। फिर वह डेवलेपमेंट समाज का हो या फिर व्यक्ति का।
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