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एक दिन मौसमी वायरस भर रह जाएगा कोरोना, शोधकर्ताओं ने किया दावा

दुबई। कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया को यह खबर थोड़ी राहत प्रदान कर सकती है। शोधकर्ताओं के एक दल ने दावा किया है कि एक दिन ऐसा आएगा जब लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाएगी और कोरोना खांसी, सर्दी व अन्य मौसमी बीमारियां फैलाने वाले वायरस की तरह ही रह जाएगा। हालांकि, फिलहाल लोगों को एहतियात बरतनी होगी।

फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सम-शीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में जब हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जाएगी तब कोरोना वायरस का प्रभाव कम हो जाएगा। सम-शीतोष्ण जोन में भारत, अमेरिका, कनाडा, जापान, न्यूजीलैंड, पश्चिम एशिया, उत्तरी अफ्रीका आदि आते हैं।

अध्ययन में शामिल लेबनान स्थित अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ बेरूत के डॉ. हसन जराकेट के अनुसार, “कोरोना वायरस अभी रहने वाला है। वर्षभर में इसकी कई लहरें आ सकती हैं। हालांकि, हर्ड इम्युनिटी विकसित होने के बाद इसका प्रभाव कम हो जाएगा। तब तक लोगों को शारीरिक दूरी, मास्क पहनना, निजी साफ-सफाई और समूह में इकट्ठा न होने जैसे एहतियाती उपायों को अपनाना होगा।”

सांस की बीमारी फैलाने वाले वायरस का होता है मौसमी पैटर्न: शोधकर्ता

शोधकर्ताओं के समूह में शामिल दोहा स्थित कतर यूनिवर्सिटी के डॉ. हादी यासीन के अनुसार, “सांस की बीमारी फैलाने वाले कई वायरस का मौसमी पैटर्न होता है। खासकर सम-शीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में। उदाहरण के लिए समशीतोष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में ठंड के दिनों में इन्फ्लूएंजा व अन्य वायरस ज्यादा सक्रिय होते हैं जिनके कारण सर्दी-खांसी होती है, लेकिन, यही वायरस उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में वर्षभर सक्रिय रहते हैं।”

शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस के प्रसार के लिए तापमान और आ‌र्द्रता प्रमुख कारक हैं। मौसम के अनुरूप हवा, सतह व लोगों में संक्रमण का प्रसार प्रभावित होता है। हालांकि, कोरोना वायरस अलग है क्योंकि उसका प्रसार बहुत ही तेजी से होता है।

भारत अभी हर्ड इम्युनिटी से दूर

विशेषज्ञों का मानना है कि जब किसी क्षेत्र विशेष की आधी आबादी में कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है तो उसे हर्ड इम्युनिटी कहा जाता है। हालिया सीरो सर्वे की रिपोर्ट इशारा करती है कि भारत अभी हर्ड इम्युनिटी से दूर है।

हर्ड इम्युनिटी के लिए 60-70 फीसद प्रतिशत में एंटीबॉडी का विकास होना चाहिए, जबकि भारत में करीब 24 प्रतिशत लोगों में ही एंटीबॉडी विकसित हो पाई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इसके बाद कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या में गिरावट आने लगेगी।

gajendra tripathi

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