दिल्ली। 12 अक्टूबर को सोमवती अमावस्या के साथ, 15 दिन के पितृपक्ष का समापन हो रहा है। जिन पितरों की मृत्यु की तिथि नहीं पता होती, उनका श्राद्ध सर्वपितृ अमावस्या को होता है। इसके साथ ही जिन्होने आश्विन पूर्णिमा पर श्राद्ध नहीं किया, वह भी 12 अक्टूबर को, पितरों का श्राद्ध-तर्पण कर सकते हैं। लेकिन सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध सिर्फ कुतुप मुहूर्त में दोपहर 12:36 तक ही किया जा जाता है।
-12 अक्टूबर सोमवती अमावस्या को पितृपक्ष संपन्न
-12 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध
-सोमवती अमावस्या पर पितृपक्ष समापन का योग
-दोपहर 12:36 तक किया जायेगा श्राद्ध संपन्न
-12 अक्टूबर को 15 दिन के श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन
महालया के दिन ही सभी पितरों की विदाई होती है। वैसे भी इस अमावस्या को, पितर, श्राद्ध-तर्पण की आशा में, अपने वंशजों के द्वार आते हैं। लेकिन अगर उन्हें पिंडदान न दिया जाये तो शाप देकर चले जाते हैं। इसलिये सर्वपितृ विसर्जन के दिन, पितरों का श्राद्ध करना न भूलें।
महालया को धरती पर उतरेंगी मां दुर्गा
पश्चिम बंगाल में मान्यता है कि इसी दिन माता दुर्गा धरती पर उतरती हैं। वहां यह दिन महालय के रुप में मनाया जाता है। 12 अक्टूबर को सोमवती अमावस्या भी है और पितृपक्ष का समापन भी इस अनोखे योग में हो रहा है। लेकिन 12 अक्टूबर को सुबह 5:35 तक आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि रह रही है। 13 अक्टूबर की सुबह सूर्योदय के बाद से प्रतिपदा तिथि लगेगी। अगले दिन 14 अक्टूबर सुबह 8:21 तक प्रतिपदा वृद्धि रहेगी। 13 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग रहने के कारण सिर्फ अभिजित मुहूर्त में दोपहर 12 बजे से दोपहर 12:45 तक ही कलश स्थापना की जायेगी। क्योंकि वैधृति योग और चित्रा नक्षत्र में कलश स्थापना से दोष उत्पन्न होता है। लेकिन 14 अक्टूबर को कलश स्थापना नहीं की जायेगी, ये और बात है कि 14 अक्टूबर को सुबह 8:21 तक प्रतिपदा तिथि रह रही है।
-13 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र का आरंभ
-13 और 14 अक्टूबर दो दिन प्रतिपदा तिथि
-13 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग
-चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में कलश स्थापना
-दोपहर 12 PM से 12:45 तक कलश स्थापना
13 और 14 अक्टूबर 2 दिन प्रतिपदा तिथि
12 अक्टूबर को सुबह 5:35 तक अमावस्या तिथि रहेगी, लेकिन उसके बाद 13 अक्टूबर के सूर्योदय के साथ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि लग जायेगी। लेकिन 13 अक्टूबर को चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग एक साथ पड़ रहे हैं। ऐसे संयोग में सुबह कलश स्थापना का कोई योग नहीं है। 13 अक्टूबर को कलश स्थापना सिर्फ अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12 बजे से लेकर 12:45 तक हो सकती है। सनातन धर्म विशेषज्ञ पंडित शीलभूषण शर्मा के अनुसार कुछ विशेष परिस्थितियों में आप 12 अक्टूबर को सूर्योदय से पहले, कलश स्थापना का संकल्प लेकर भी, कलश स्थापना कर सकते हैं। लेकिन ऐसा विशेष परिस्थितियों में ही करना ठीक होगा। वैसे 14 अक्टूबर को सुबह 8:21 तक प्रतिपदा की वृद्धि रहेगी। लेकिन इसमें कलश स्थापना का कोई शास्त्रीय विधान नहीं है।
-12 अक्टूबर सुबह 5:35 तक अमावस्या तिथि
-12 अक्टूबर सुबह 5:35 से आश्विन प्रतिपदा
-13 अक्टूबर को अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना
-13 अक्टूबर को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 से 12:45PM तक
-14 अक्टूबर सुबह 8:21 तक प्रतिपदा की वृद्धि
-14 अक्टूबर को भी प्रतिपदा,कलश स्थापना नहीं