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प्रदूषणः रसोई में उपलब्ध हैं बचाव के उपाय

नई दिल्ली। मनुष्य को ईश्वर का वरदान है धरती और उसका वातावरण। प्रकृति ने हमें वह सबकुछ दिया है जिसकी हमें वास्तव में जरूरत है और इसके लिए ज्यादा दूर जाने और खोजबीन की जरूरत भी नहीं है। सबकुछ हमारे आसपास और रसोई में ही उपलब्ध है। उदाहरण के लिए आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है प्रदूषण और स्मॉग (सर्दी के मौसम में कोहरे और धुएं के संजोजन से होने वाली धुंध)। इनकी वजह से होने वाली परेशानियों से बचाने के उपाय काली मिर्च, अदरक आदि के रूप में हमारी रसोई में ही उपलब्ध होते हैं।

वाय प्रदूषण और स्मॉग की वजह से वातपरण में मौजूद जहरीले तत्व सांस के जरिये हमारे शरीर में पहुंचकर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। पहले फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होती हैं और समय के साथ उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), हार्ट अटैक, डायबिटीज, साइनोसाइटिस जैसे रोग डेरा जमाने लगते हैं। इन समस्याओं से बचाव के उपाय हमारे घर विशषकर रसोई में ही मौजूद हैं।

लहसुन और अदरक।

प्रदूषण से बचने के लिए सबसे आवश्यक है हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Disease Resistance capacity) का मजबूत होना। प्रदूषण के अति सूक्ष्म तत्व जिन्हें चिकित्सा विज्ञान की भाषा में फ्री-रेडिकल्स कहा जाता है, को साफ करने के लिए शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्त कराना जरूरी है। यह तभी होता है जब आपका पाचन तंत्र अच्छी तरह काम कर रहा हो। आयुर्वेद और आहार विज्ञान दोनों कहते हैं कि पाचन तंत्र ठीक होगा तो शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) कम होंगे, आंव नहीं बनेगा, पाचन प्रक्रिया सुचारु चलेगी और खांसी-जुकाम, सांस लेने में दिक्कत नहीं होगी। आयुर्वद और आहर विज्ञान इसके लिए काली मिर्च, अदरक, लहसुन, तुलसी, नीम, पीपली, जीरा, हींग, इलायची, लौंग, गुड़, शहद आदि के सेवन पर बल देते हैं जो प्रायः हर रसोई में उपलब्ध होते हैं। रसोई में गाय का घी उपलब्ध है तो क्या कहने। रोजाना नाक के दोनों छेदों में इसकी एक-एक बूंद डालिये। नाक और श्वांस नली दोनों में मौजूद विषैले तत्व भाग खड़े होंगे और सांस लेने में होने वाली परेशानी धीरे-धीरे कम हो जाएगी।  

नए जमाने के लोग भले ही गुड़ को देख नाक-भौं सिकोड़ते हों पर इसमें खून की कमी दूर करने के साथ ही फेफड़ों को साफ करने की अद्भुत शक्ति होती है। गुड़ में मौजूद लौह तत्व (Iron Elements) धमनियों को भी साफ करते हैं जिससे खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति तेज होती है और सांस संबंधी संबंधी दिक्कत कम होती है। डाइटीशियन जी. विशाल के अनुसार रोजाना 5 ग्राम गुड़ का सेवन करना चाहिए। रात को सोते समय गर्म दूध के साथ गुड़ ले सकते हैं तो इसके लड्डू भी बना सकते हैं। जी. विशाल साथ ही चेतावनी भी देते हैं कि गुड़ का सेवन बहुत ज्यादा न करें क्योंकि ये शरीर को ऊर्जा देने के साथ ही गर्मी भी उत्पन्न करता है जो कई लोगों के लिए नुकसानदेह हो सकती है।  

आंवला और त्रिफला (हर्र, बहेड़ा और आंवला को योग) भी रोग प्रतिरोधक क्षमका बढ़ने के साथ ही कफ, पित्त और वायु दोष को दूर करते हैं। त्रिफला को सादे पानी के साथ ले सकते हैं लेकिन शहद के साथ यह अत्यंत लाभ देता है।

gajendra tripathi

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