नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण की चेन को ब्रेक करने के लिए पूरे देश में डेढ़ महीने से लॉकडाउन लागू है। इस दौरान ज्यादातर उद्योगों में कामकाज ठप रहा है। लाखों लोगों की नौकरी चली गई है तो बहुत से छोटे व्यवसायियों का धंधा ठप है। कई कंपनियां अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर रही हैं। ऐसे विषम हालात में उत्तर प्रदेश समेत कुछ राज्यों ने निजी स्कूलों को इस सत्र (2020-21) में फीस नहीं बढ़ाने का आदेश दिया था। इसे मानते हुए प्राइवेट स्कूलों ने इस साल फीस बढ़ाने की बजाय पिछले सत्र के समान फीस लेने की घोषणा ही नहीं की बल्कि अभिभावकों को इसकी लिखित जानकारी भी दे दी है। निचली कक्षाओँ के बच्चों को फीस में मिली इस राहत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर निजी कॉलेजों को फीस नहीं बढ़ाने का आदेश देने का अनुरोध किया गया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट कॉलेजों के छात्र-छात्राओँ को तगड़ा झटका दिया है। शीर्ष अदालत ने प्राइवेट कॉलेजों में विद्यार्थियों को फीस देने में छूट दिलाने से इन्कर दिया है। अदालत ने कहा, “अगर फीस नहीं मिलेगी को निजी कॉलेज कैसे चलेगें, वे अपने स्टाफ को वेतन कहां से देगें?”
फीस के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि विद्यार्थियों और कॉलेज प्रशासन के बीच कुछ बैलेंस ही करवा दीजिए। सुप्रीम कोर्ट ने इससे भी इन्कार करते हुए कहा कि संबंधित यूनिवर्सिटी से खुद बात करें।