लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में हुए नरसंहार के पीड़ितों से मिलने जा रहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत 10 लोगों को पुलिस ने सोनभद्र में गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, प्रियंका गांधी को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया मगर वे सोनभद्र के उभ्बा गांव जाने पर अड़ीं हुई हैं। समाचार लिखे जाने तक प्रियंका चुनार गेस्ट हाउस में हैं और वहां पर हंगामा जारी है।

बताया जा रहा है कि गेस्ट हाउस में प्रियंका के साथ जो नौ कांग्रेसी हैं, उनमें पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी, पूर्व विधायक अजय राय, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजय कुमार उर्फ लल्लू, राजन पाठक बृजेश तिवारी, गोपाल स्वरूप पाठक, राजेश द्विवेदी, ज्ञानेंद्र तिवारी और प्रीतम चौबे शामिल हैं।

इससे पहले प्रियंका को जब नरायनपुर पुलिस चौकी पर रोका गया तो उन्होंने एसडीएम और सीओ से पूछा कि उन्हें यहां क्यों रोका जा रहा है। एसडीएम ने बताया कि सोनभद्र में धारा-144 लागू है। इस पर प्रियंका पूछा, “तो मिर्जापुर में किस कानून के तहत रोका जा रहा है। वह कौन सा कानून है। वह पेपर दिखाया जाए।” प्रियंका के सवालों का एसडीएम और सीओ के पास कोई जवाब नहीं था। इसके बाद ही वह सड़क पर ही धरने पर बैठ गईं। उन्होंने कहा कि वे सोनभद्र में मारे गए लोगों के परिवारीजनों से शांतिपूर्ण ढंग से मिलने जा रहे थे पर प्रशासन ने रोक लिया। वहीं, हिरासत में लिए जाने के बाद प्रियंका गांधी ने कहा, “सोनभद्र के पीड़ित निराश न हों, मैं सोनभद्र आऊंगी।”


एसडीएम चुनार एसपी सिंह औरसीओ हितेंद्र कृष्ण जब प्रियंका गांधी को हिरासत में लेकर चुनार किला की तरफ रवाना होने के लिए तैयार हुए तो जिले के कांग्रेसी एसडीएम के वाहन के सामने लेट गए। उसी वाहन में प्रियंका गांधी को एसडीएम ने बैठाया था। कांग्रेसियों के उग्र रवैए को देख पुलिसकर्मियों ने सड़क पर लेटे कार्यकर्ताओं को वाहन के सामने से घसीटना शुरू कर दिया। पुलिसकर्मियों ने कई कांग्रेसियों को घसीट कर वाहन के सामने से हटाया। इसके बाद फोर्स के साथ प्रियंका को लेकर एसडीएम चुनार किला पहुंचे। 

ये है मामला

बीती 17 जुलाई को सोनभद्र के उभ्भा गांव में 112 बीघा खेत के लिए 10 ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया गया था। इस घटना में 25 अन्य लोग घायल हुए थे। लगभग चार करोड़ रुपये कीमत की इस जमीन के लिए ग्राम प्रधान और उसके पक्ष के ग्रामीणों पर अंधाधुन फायरिंग की थी। इस मामले में दरअसल, 112 बीघा खेत जोतने के लिए गांव का प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर 32 ट्रैक्टर लेकर पहुंचा था। इन ट्रैक्टरों पर लगभग 60 से 70 लोग सवार थे। ये लोग अपने साथ लाठी-डंडा, भाला-बल्लम, राइफल और बंदूक लेकर आए थे। गांव में पहुंचते ही इन लोगों ने ट्रैक्टरों से खेत जोतना शुरू कर दिया। ग्रामीणों द्वारा इसका विरोध करने पर यज्ञदत्त और उसके लोगों ने ग्रामीणों पर लाठी-डंडा, भाला-बल्लम से हमला करने के साथ ही  राइफल-बंदूकों से गोलियां चलानी शुरू कर दीं।
 

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