नई दिल्ली। दो दिनों तक चली मौद्रिक नीति समिति (MPC, Monetary Policy Committe) की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान कर दिया। इसके अनुसार, आपके लोन की ईएमआई (EMI) में फिलहाल कोई राहत नहीं मिलने वाली है। ब्याज दरों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट 4% और रिवर्स रेपो रेट 3.35%
प्रतिशत पर बरकरार हैं लेकिन फिर भी रिजर्व बैंक ने सस्ते कर्ज का रास्ता खोला है। देश की अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे कोरोना वायरस के साये से बाहर निकल रही है। ऐसे में आरबीआईके लिए क्रेडिट पॉलिसी के बड़े ऐलान करना संभव हुआ है।

क्रेडिट पॉलिसी की खास बातें

रेपो रेट में बदलाव नहीं: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यानी लोगों को अपने लोन की EMI में कोई राहत नहीं मिलने वाली है। फरवरी 2019 से अब तक MPC रेपो रेट में 2.50 प्रतिशत की बड़ी कटौती कर चुका है। 

फिर मिलेगा सस्ता होम लोन: रेपो रेट में भले ही कोई बदलाव नहीं हुआ है लेकिन होम लोन की दरें घटाने पर फोकस होगा। इसके लिए नए हाउसिंग लोन पर रिस्क वेटेज 31 मार्च 2022 तक के लिए घटाया गया है। यानी भविष्य में दिए जाने वाले सभी नए हाउसिंग लोन रिस्क सिर्फ लोन टू वैल्यू (Loan to value) से ही लिंक होंगे। इसका मतलब यह हा कि लोन मिलना आसान और सस्ता हो जाएगा। 

हर समय RTGS की सुविधा: RTGS यानी Real Time Gross Settlement रुपये ट्रांसफर करने की एक तेज व्यवस्था है जो अब दिसंबर 2020 के बाद 24 घंटे और सातों दिन काम करेगी। RTGS की सेवाएं फिलहाल कामकाजी दिनों में सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक ही काम करती हैं। ये पैसे ट्रांसफर करने का बेहद सुरक्षित प्लेटफॉर्म है।
RTGS आमतौर पर बड़ी धनराशि को ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल होता है। इसमें ट्रांसफर की शुरुआत 2 लाख रुपये से ऊपर की रकम के लिए होती है। 

आरबीआई ने इससे पहले दिसंबर 2019 में एनईएफटी प्रणाली (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सिस्टम) को हर रोज चौबीसो घंटे खुला किया था। एनईएफटी उस समय से चौबीसों घंटे सुचारु रूप से काम कर रही है। 

अकोमोडेटिव रुख बरकरार: इसका अर्थ यह हुआ कि भारतीय रिजर्व बैंक आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कमी कर सकता है। इस रुख के जरिये इस बात के संकेत मिलते हैं कि आरबआई कर्ज को और सस्ता कर सकता है ताकि लोगों में खर्चों की रफ्तार बढ़ाई जा सके

जीडीपी में होगा सुधार: वित्त वर्ष 2021 के दौरान GDP की ग्रोथ 9.5 प्रतिशत की कमी आई लेकिन चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2021) से GDP में सुधार दिखना शुरू होग। डॉ. शक्तिकांता दास ने कहा कि, ‘हम बेहतर भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिल रहे हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘अर्थव्यवस्था में सेक्टर आधारित ग्रोथ दिखाई दे सकता है। खेती, कंज्यूमर, फार्मा में रिकवरी की संभावनाएं जागी हैं। 

नए OMO का ऐलान: रिजर्व बैंक ने अगले हफ्ते 20 हजार करोड़ रुपये के OMO (Open Market Operation) का ऐलान किया है। OMO का मतलब होता है कि आरबीआई रुपये की लिक्विडिटी की स्थिति को बनाए रखने के लिए बाजार में सरकारी सिक्योरिटीज (G-Sec) की खरीद फरोख्त करता है। जब आरबीआई को लगता है कि बाजार में लिक्विडिटी ज्यादा है या कम है तो वह सिक्योरिटीज को बेचकर या खरीदकर नियंत्रित करता है। आबबीआई का कहना है कि फाइनेंस नियमों को और आसान बनाने की कोशिश भी जारी है।

1 लाख करोड़ के TLTRO: बैंकों की लिक्विडिटी सुधारने के लिए रिजर्व बैंक ने 1 लाख करोड़ रुपये का TLTRO (Targeted Long Term Repo Operations) लाने का ऐलान किया है। 4% की दर से मार्च 2021 तक इसे दिया जाएगा जिसे कॉरपोरेट बॉन्ड, डिबेंचर में निवेश किया जाएगा। TLTRO एक ऐसा टूल है जिसके जरिये आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी पैदा करता है। वह किसी भी सेक्टर या कंपनी को सीधे रुपये नहीं दे सकता इसलिए बैंकों से कहा जाता है कि वे इसे कर्ज के रूप में लेकर कंपनियों के बॉन्ड्स और डिबेंचर्स को खरीदें। इस कोशिश से बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में सुधार की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ने कर्ज देने की लिमिट को बढ़ाने की इजाजत दे दी है जिसके तहत अब छोटे कर्जदारों के लिए 7.5 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर किया गया है।

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