लखनऊ। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहर्रम पर ताजिया का जुलूस निकालने की अनुमति के लिए दायर की गईं सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसके पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुहर्रम जुलूस के लिए दायर की गई एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति एस के गुप्ता और न्यायमूर्ति शमीम अहमद की डिवीजन बेंच ने रोशन खान और कई अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के बाद शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रखा था। शनिवार को यह फैसला सुनाते हुए अदालत ने धार्मिक समारोहों के आयोजन पर लगी रोक को हटाकर मोहर्रम का ताजिया निकालने की अनुमति देने से इन्कार कर दिया। याचिकाकर्ताओं के वकील ने मोहर्रम में ताजिया जुलूस पर रोक को धार्मिक आजादी के मौलिक अधिकार का उल्लघंन बताया था। यह भी कहा था कि प्रदेश सरकार ने अन्य धर्मों के समारोहों को इसी समय में अनुमति दी है। सिर्फ मोहर्रम के जुलूस पर पाबंदी सरकार के स्तर पर एक विभेदकारी निर्णय है। याचिका में मोहर्रम में ताजिये को जुलूस के साथ कर्बला में दफन करने की अनुमति की मांग की गई थी। अपने निर्णय में हाईकोर्ट ने शासनादेश को विभेदकारी नहीं मानते हुए चुनौती याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में पुरी की रथयात्रा की इजाजत दी थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वीएम जैदी, एसएफए नकवी और केके राय ने बहस की। राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने इसका विरोध किया। उन्होंने तर्क रखा कि धार्मिक स्वतंत्रता को कानून व्यवस्था, नैतिकता और लोक स्वास्थ्य को देखते हुए प्रतिबंधित किया जा सकता है। सरकार ने अगस्त माह में भी सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगाई। जन्माष्टमी पर झांकी और गणेश चतुर्थी पर पंडाल पर भी रोक लगाई गई। इसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए सभी से घरों में रहकर ही धार्मिक कार्यक्रम करने का अनुरोध किया गया है। उसी तरह मोहर्रम में ताजिया निकालने पर भी रोक लगी है।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि किसी समुदाय को लक्ष्य बनाने का आरोप निराधार है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद शुक्रवार को फैसला सुरक्षित कर लिया था। शनिवार को दोपहर बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए धार्मिक कार्यक्रम पर रोक के शासनादेशों के खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दीं। फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण को लेकर गहरी चिंता भी जताई। कहा, “हम समुद्र के किनारे खड़े हैं, कब कोरोना लहर हमें गहराई में बहा ले जाएगी,इसका अंदाजा नहीं लगा सकते। हमें कोरोना के साथ जीवन जीने की कला सीखनी होगी।”
आपको याद होगा कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर्रम जुलूस के लिए दायर की गई एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि देश भर के मांगी जा रही इस अनुमति से अराजकता फैल सकती है। वह ऐसे आदेश पारित नहीं करेगा जो इतने लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल दे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था।
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