नई दिल्ली। कई पूर्व सेना प्रमुखों ने सशस्त्र बलों के राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र को गलत बताया है। पूर्व सैनिकों ने कहा है कि सेना के लोकसभा चुनाव 2019 में राजनीतिक इस्तेमाल को लेकर कोई भी पत्र राष्ट्रपति को नहीं लिखा गया है। राष्ट्रपति भवन ने भी ऐसा कोई भी पत्र मिलने से इनकार किया है। गौरतलब है कि कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने पत्रकारों से कहा था कि सेना के 8 पूर्व प्रमुखों व 148 अन्य पूर्व सैनिकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सशस्त्र सेनाओं का राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने पर आक्रोश जताया है। प्रियंका ने यह दावा भी किया था कि भाजपा ने जिस तरह से बालाकोट हवाई हमले का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया है उससे पूर्व सैनिकों को राष्ट्रपति को पत्र लिखना पड़ा।
कहा गया था कि पत्र पर जिन लोगों के हस्ताक्षर हैं उनमें पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रोड्रिग्ज, जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी और जनरल (सेवानिवृत्त) दीपक कपूर, भारतीय वायु सेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी शामिल हैं।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) एसएफ रोड्रिग्ज ने शुक्रवार को इस तरह के किसी पत्र से इन्कार किया। उन्होंने कहा, “सर्विस के दौरान हम जो भी सरकार होती है उसका ऑर्डर फोलो करते हैं। सेना का राजनीति से कोई लेनादेना नहीं होता है, कोई कुछ भी कह सकता है और उसे फेक न्यूज बनाकर बेच सकता है। मैं नहीं जानता कि वे कौन लोग हैं जिन्होंने यह सब लिखा है।” न्यूज चैनल रिपब्लिक भारत के अनुसार रोड्रिग्ज ने कहा, “मैंने राष्ट्रपति को कोई चिट्ठी नहीं लिखी है। मेरे लिए पहले देश, उसके बाद कुछ और।”
पूर्व वायेसना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एनसी सूरी ने भी इस प्रकार के किसी पत्र से इन्कार किया है। उन्होंने कहा, “इस चिट्ठी में जो कुछ भी लिखा है मैं उससे सहमत नहीं हूं। हमारी बात को गलत ढंग से पेश किया गया है।” पूर्व उप सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल एमएल नायडू ने भी कहा, “नहीं, ऐसे किसी पत्र के लिए मेरी सहमति नहीं ली गई है ना ही मैंने ऐसा कोई पत्र लिखा है।”
इस कथित पत्र पर एडमिरल (सेवानिवृत्त) अरुण प्रकाश, एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल रामदास और एडमिरल (सेवानिवृत्त) विष्णु भागवत के भी हस्ताक्षर हैं। दावा किया जा रहा है कि यह पत्र गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेजा गया।
हालांकि कुछ सेवानिवृत्त अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इस पत्र के लिए सहमति दी थी और उन्हें अच्छी तरह पता था कि इसमें क्या लिखा था। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों के अनुसार, उन्हें ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है, जो मीडिया में सर्कुलेट हो रहा है।
गौरतलब है कि प्रेस कांफ्रेंस में प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल किया था, “क्या विंग कमांडर के पोस्टरों का इस्तेमाल भाजपा की रैलियों में नहीं किया गया? हम कैसे भूल सकते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने सेना की वीरता का श्रेय लेने की कोशिश की है?” उन्होंने कहा था, “हमें नहीं भूलना चाहिए कि बालाकोट में वायुसेना की कार्रवाई के बारे में प्रधानमंत्री ने लातूर की रैली में श्रेय लेने की कोशिश की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने ‘मोदी जी की सेना’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। यह पहली बार नहीं है कि भाजपा सेना का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रही है। करगिल के समय भी भाजपा के लोगों ने सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों के पोस्टर लगाए थे।”
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