यूपी चुनाव: सपा-कांग्रेस गठबंधन खतरे में, सीटों के बंटवारे पर चल रही खींचतान

लखनऊ। UP चुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर गठबंधन के तमाम कयासों के बीच सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को कड़ा संदेश देते हुए आज कहा कि इस पार्टी ने चुनावी तालमेल को लेकर अब तक कोई सकारात्मक बात नहीं की है और सपा उसे कुल 403 में से केवल 85 सीटें ही दे सकती है। अभी तक खबर ये थी कि सपा और कांग्रेस में गठबंधन पर मुहर लग चुकी है और इसकी घोषणा शुक्रवार को संभव है, लेकिन दोनों दलों के बीच मामला कुछ सीटों पर फंसा हुआ था।

सूत्रों के अनुसार, समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन शुक्रवार को उस समय खतरे में पड़ता नजर आया, जब सपा ने आज 191 उम्‍मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। सपा ने इस लिस्‍ट में कांग्रेस के लिए सीटें नहीं छोड़ी हैं। बताया जा रहा है कि उत्‍तर प्रदेश में जिन सीटों पर कांग्रेस अपने उम्‍मीदवार उतारना चाहती थी, वहां से अखिलेश ने आज अपने उम्‍मीदवारों की घोषणा कर दी। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस गाजियाबाद, साहिबाबाद, दादरी, कोल, बागपत व अन्‍य कई सीटें चाहती थी और उसकी मंशा इन सीटों पर अपने उम्‍मीदवार खड़े करने की थी। लेकिन सपा ने आज उम्‍मीदवारों की पहली सूची जारी की, उसमें गाजियाबाद, दादरी आदि सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतार दिए।

सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने आज कहा कि बीजेपी को हराने के लिए हम कांग्रेस से गठबंधन चाहते थे। कांग्रेस ने अभी तक हमें कोई लिस्‍ट नहीं दी है। जिसके बाद हमने आज 191 उम्‍मीदवारों की सूची जारी कर दी है। सपा ने यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन को लेकर कांग्रेस से बातचीत तय नहीं हुई। हम उसे केवल 85 सीटें दे सकते हैं। कांग्रेस से समाजवादी पार्टी के गठबंधन की खबरों के बीच सबसे चौका देने वाली घोषणा किदवई नगर सीट से है। इस सीट पर कांग्रेस के अजय कपूर वर्तमान में विधायक है लेकिन सपा ने यहां से भी ओमप्रकाश मिश्र को टिकट देकर कांग्रेस खेमे की बेचैनी बढ़ा दी है।

नंदा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी का मुख्य मकसद आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराना है। इसके लिये कांग्रेस से गठबंधन की कोशिश की गयी लेकिन उसकी तरफ से अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगर भाजपा को परास्त होते देखना चाहती है तो उसे सपा के फार्मूले को मानना होगा। इस फार्मूले के तहत पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जिन सीटों पर पहले या दूसरे नम्बर पर रही थी, और वे सीटें जिन पर सपा तीसरे, चौथे या पांचवें नम्बर पर रही थी, वे कांग्रेस को दे दी जाएंगी। नन्दा ने कहा कि इस हिसाब से कांग्रेस को 54 सीटें ही मिलनी चाहिये, लेकिन अगर वह गम्भीरता से बातचीत करे तो उसे 25-30 सीटें और दी जा सकती हैं। सपा कांग्रेस को अधिकतम 85 सीटें दे सकती है।

यह पूछे जाने पर कि सपा द्वारा आज घोषित 191 सीटों में में कई वे सीटें हैं, जिन पर वर्ष 2012 के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे, उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन होगा तो कांग्रेस जहां जीती है, वह सीट उसे दे दी जाएगी।

गठबंधन के ऐलान में अब तक हो रही देरी के लिए सीटों के बंटवारे पर चल रही खींचतान को वजह माना जा रहा है। सपा के साथ गठबंधन का औपचारिक ऐलान करने से पहले कांग्रेस सीटों के बंटवारे की प्रक्रिया पूरी कर लेना चाहती है। गुरुवार को सीटों की संख्या और उस पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर दोनों दलों में माथापच्ची जारी रही। बता दें कि सपा-कांग्रेस और रालोद का महागठबंधन बनने से पहले ही नाकाम हो गया। उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलने पर रालोद ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं और गठबंधन की सूरत में सबसे ज्यादा सीटों (300 से अधिक सीटों) पर अखिलेश की पार्टी लड़ेगी। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित ज्यादातर विपक्षी पार्टियों का मानना है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा को उत्तर प्रदेश में रोकना जरूरी है, क्योंकि इस राज्य के विधानसभा चुनावों के परिणाम का अगले लोकसभा चुनाव पर काफी असर पड़ने की संभावना है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन बनाने को लेकर इसके दो संभावित घटक कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी के बीच मतभेद सामने आए क्योंकि इसमें राष्ट्रीय लोक दल को शामिल किए जाने को लेकर दोनों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। राज्य की कुल 403 विधानसभा सीटों में से करीब 300 पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी सपा ने रालोद के साथ गठबंधन की संभावना को यह कहकर नकार दिया है कि वह केवल कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी।

 

एजेंसी

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