वॉशिंगटन। लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी (PLA) के हाईप्रोफाइल अतिक्रमण के वास्तुकार (Architect of high profile encroachment) स्वयं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग थे। उनके निर्देश पर ही पीएलए के सैनिक फिंगर 4 क्षेत्र में आगे बढ़ आए थे। लेकिन, दांव उल्टा पड़ा और भारतीय सेना का बेहद आक्रमक रुख के चलते चीनी सेना को जन-धन का भारी नुकसान उठाना पड़ा और कई क्षेत्रों में तो उसके सैनिक जान बचाकर भाग निकले। भारतीय सैनिकों को पीछे धकेलने की योजना अप्रत्‍याशित रूप से फ्लॉप साबित हुई और चीनी सेना की इस नाकामी के निश्चित रूप से दूरगामी परिणाम होंगे। इसके मायने यह भी है कि शी चिनफिंग की किसी को डराने-धमकाने की क्षमता कम हो गई है।

यह दावा न्‍यूज वीक में प्रकाशित एक लेख में किया गया है। मशहूर टिप्‍पणीकार गॉर्डन जी चेंग ने अपने आलेख में लिखा है कि चीन के राष्‍ट्रपति ने भारत और चीन के बीच की सीमा यानी एलएसी पर पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी की नाकाम हाईप्रोफाइल घुसपैठ के कारण अपने भविष्‍य को जोखिम में डाल लिया है। इसके साथ ही यह नाकामी चीनी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के चेयरमैन और पीएलए के लीडर के तौर पर भारतीय पोस्‍ट के खिलाफ और अधिक आक्रामक अभियान छेड़ने के लिए प्रेरित भी करेगी।

गौरतलब है कि इस वर्ष मई में चीनी सैनिक एलएसी के दक्षिण में तीन स्‍थानों पर आगे बढ़े थे। भारत-चीन सीमा के खराब सीमांकन (Poorly demarcated) के चलते चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण किया, खासतौर पर शी के वर्ष 2012 में पार्टी महासचिव बनने के बाद।

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव अपने चरम पर है। हाल ही में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर टकराव के दौरान हवा में गोलियां चलाने का आरोप लगाया था। एलएसी पर 45 साल बाद ऐसा हुआ है जब किसी भी पक्ष की तरफ से गोलियां चलाई गईं हों। भारतीय थल सेना ने कहा था कि चीनी सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के करीब 7 सितंबर की शाम भारतीय मोर्चे के नजदीक आने की कोशिश की और हवा में गोलियां भी चलाईं। इससे पहले पीएलए ने आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने एलएसी पार की और पैंगोंग झील के पास वॉर्निंग फायर किए।

पिछले हफ्ते भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीमा के हालात को बेहद गंभीर बताते हुए कहा था कि राजनीतिक स्तर पर बहुत गहन विचार विमर्श की जरूरत है।

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को संघर्ष में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव काफी बढ़ गया था। चीनी जवान भी हताहत हुए लेकिन पड़ोसी देश ने उनका ब्योरा नहीं दिया। हालांकि मीडिया रिपोर्टस में मारने वाले चीनी सैनिकों की संख्या 40 से ज्यादा बताई गई। तनाव के इस माहौल में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों के बीच रूस के मॉस्‍को में बातचीत हो चुकी है। इस बातचीत के दौरान मुख्‍यत: एलएसी के आसपास तनाव कम करने पर जोर दिया गया।

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