इस आरक्षण का लाभ उन्हें मिलने की उम्मीद है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रूपये से कम होगी और पांच एकड़ तक जमीन होगी। फैसले को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करना होगा।

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार मंगलवार को इस संबंध में संसद में संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है। यह मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग होगा। सरकार के इस फैसले को गेमचेंजर माना जा रहा है।

दरअसल, मौजूदा व्यवस्था के तहत सामान्य वर्ग को आरक्षण हासिल नहीं है। लंबे समय से ये मांग की जाती रही है कि आर्थिक तंगी के आधार पर कोटा निर्धारित किया जाए। आखिरकार सोमवार को मोदी कैबिनेट ने इस दिशा में 10 फीसदी आरक्षण देने का बड़ा निर्णय लिया जो मौजूदा 50 प्रतिशत आरक्षण से अलग होगा क्योंकि संविधान में 50 फीसदी आरक्षण की ही व्यवस्था है। ऐसे में सरकार मंगलवार को इस संबंध में संसद में संविधान संशोधन विधेयक ला सकती है। इस आरक्षण का लाभ उन्हें मिलने की उम्मीद है जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रूपये से कम होगी और पांच एकड़ तक जमीन होगी। फैसले को लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करना होगा.

विपक्ष ने बताया राजनीतिक स्टंट

आम चुनाव से पहले मोदी सरकार के इस फैसले को गेमचेंजर माना जा रहा है। मोदी सरकार और भाजपा इसे ऐतिहासिक फैसला बता रही है जबकि विपक्षी दल इस निर्णय को पॉलिटिकल स्टंट करार दे रहे हैं। कांग्रेस नेता व वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने मोदी सरकार के इस फैसले को मजाक बताया है। कहा- ये लोग जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं। कांग्रेस की ही अमी याज्ञनिक ने कहा कि इस प्रकार के आरक्षण पर काफी तकनीकि दिक्कतें हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रकार आरक्षण देने का क्या मकसद है यह भी देखना होगा। एआईएमआईएम के सांसद असजुद्दीन ओवैसी का कहना है कि आरक्षण आरक्षण न्याय के लिए बना है। संविधान आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है।

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