नई दिल्ली। (Construction of Ram temple started in Ayodhya,) अयोध्या में5 अगस्त को हुए राम मंदिर भूमि पूजन के भव्य कार्यक्रम के बाद अब निर्माण का काम शुरू हो गया है. श्रीराम भूमि जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्विटर अकाउंट के जरिए यह जानकारी देते हुए बताया मंदिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है। मंदिर को बनाने में लोहे का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए 18इंच लम्बी, 3 एमएम मोटी और 30 एमएम चौड़ी 10,000 से ज्यादा पत्तियों की आवश्यकता होगी। ट्रस्ट ने भक्तों का आह्वान किया है कि तांबे की पत्तियां दान करें। इन पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की गुरुवार को यहां हुई बैठक के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर को हम इतनी मजबूती देंगे कि इसकी आयु एक हजार वर्ष से भी अधिक रहे। इसका निर्माण हवा, धूप और पानी से क्षरण की मार को पत्थर के सहने की क्षमता पर आधारित होगा। इसके निर्माण में हम आईआईटी चेन्नई और रुड़की के साथ सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की मदद ले रहे हैं। लार्सन एंड टूब्रो कंपनी इस काम में आईआईटी के इंजीनियरों की तकनीकी सहायता भी ले रही है। इसमें 60 मीटर तक साइल टेस्टिंग और भूकंप रोधी मापन भी किया गया है। मंदिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकंप, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो।
मंदिर का एरिया करीब तीन एकड़ का होगा। लोड के हिसाब से 60, 40 और 20 मीटर गहरे पिलर लगाए जाएंगे। चंपत राय ने कहा कि हमको 30 से 35 मीटर गहराई से नींव लानी पड़ेगी और एक मीटर व्यास के गोल आकार में लानी पड़ेगी। तीन एकड़ में ऐसे कम से कम 1200 बिंदु (खंभे) होंगे। इस काम में तो जल्दीबाजी नहीं की जा सकती। इसमें आईआईटी चेन्नई ने 263 फिट गहराई की मिट्टी के सैंपल लिये हैं। इसके साथ ही भूकंप का असर जानने के लिए 60 मीटर तक साइल टेस्टिंग की गई है। भूकंप रोधी मापन भी किया गया है।
गौरतलब है कि कि लंबी अदालती और राजनीतिक लड़ाई के बाद 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से करवाया गया। कोरोना वायरस संकट के चलते इस कार्यक्रम में सिमित संख्या में लोगों को बुलाया गया और इसका सीधा प्रसारण दूरदर्शन के माध्यम से किया गया जिसे पूरे देश ने एक साथ देखा।
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