नयी दिल्ली। मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित आज नौ वर्षों बाद मुंबई की तालोजा जेल से रिहा हो गए हैं। कर्नल पुरोहित साल 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट से जेल में बंद थे, उनको लेने के लिए सेना के कई अधिकारी जेल में पहुंचे थे। कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को ही जमानत मिली थी। कर्नल पुरोहित इंडियन आर्मी के पहले ऐसे सर्विंग ऑफिसर हैं जिन पर आतंकवादी गतिविधियों के आरोप लगे और उन्हें जेल में रहना पड़ा। पुरोहित जेल से बाहर आते ही सेना की अपनी यूनिट को रिपोर्ट करेंगे। जेल से रिहा होने के बाद कर्नल पुरोहित ने कहा कि जय हिंद, मुझे आर्मी जो भी आदेश देगी मैं उसका पालन करूंगा।
#WATCH: Lt Col Shrikant Prasad Purohit released from Taloja jail in Navi Mumbai #MalegaonBlastCase pic.twitter.com/LLjfAuFuwu
— ANI (@ANI) August 23, 2017
Lt Col Shrikant Prasad Purohit released from Taloja jail in Navi Mumbai #MalegaonBlastCase pic.twitter.com/5cy8YXJnZ9
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कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
इससे पहले इसी साल 25 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिक रद्द कर दी थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी दी गई थी। वहीं ब्लास्ट की दूसरी आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह को बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट में कर्नल पुरोहित का केस मशहूर वकील हरीश साल्वे ने लड़ा था।
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह सिर्फ सेना के जासूस के तौर पर काम कर रहे थे और किसी भी आतंकी गतिविधि में शामिल नहीं रहे हैं।इस केस की जांच पहले महाराष्ट्र एटीएस को सौंपी गई और इसके बाद एनआईए ने इसे अपने हाथ में ले लिया।
मंगलवार को कर्नल पुरोहित ने कहा था कि वह बाहर आने पर काफी खुश हैं, वह आगे भी देश की सेवा करना चाहते हैं। बाहर आने के बाद वह पुणे अपने घर जाएंगे, जहां वे अपने परिवार और पालतू कुत्ते से मिलेंगे। जेल से बाहर आने के बाद सेना की पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई। यहां पर कोर्ट का आदेश पढ़ने के बाद उनका निलंबन रद्द किया जाएगा। पुरोहित को सशर्त जमानत दी गई है, वह बिना कोर्ट की अनुमित के विदेश नहीं जा सकेंगे।
Navi Mumbai: Army vehicles arrive at the Taloja jail ahead of Leuitenant Colonel Prasad Purohit's release #MalegaonBlast pic.twitter.com/aYqZatmwxQ
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा-
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘किसी भी नागरिक की आजादी निश्चित तौर पर अहम है लेकिन इसे समुदाय की सुरक्षा के साथ संतुलित करना होगा। एक संतुलन में आरोपी की व्यक्तिगत आजादी और जांच से जुड़े उसके सभी अधिकार बरकरार रहने जरूरी होते हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने माना कि एटीएस और एनआईए की चार्जशीट में काफी अंतर था। कोर्ट का कहना था कि बिना सुबूतों की जांच के कौन सी चार्जशीट सही है इसका पता लगाने में वह असमर्थ है और यह काम ट्रायल कोर्ट का है।सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस केस में कर्नल पुरोहित को आरोपी बनाया गया है उसमें अधिकतम सजा सात वर्ष की है और वह नौ वर्ष पहले ही जेल में काट चुके हैं।
इस मामले की जांच पहले एटीएस के पास थी, जिसके बाद जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंपी गई। एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट दी थी, जबकि कर्नल पुरोहित की बेल का विरोध किया था। एनआईए का मानना है कि जो आरोप पुरोहित के खिलाफ हैं वो गंभीर प्रकृति के हैं। एनआईए का मानना था कि कर्नल पुरोहित को बेल मिलने का ये सही समय नहीं है।
बता दें कि 29 सितंबर, 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए ब्लास्ट में 6 लोग मारे गए थे, जबकि 79 लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे। इस मामले में दायर की गई चार्जशीट में 14 आरोपियों के नाम थे। ब्लास्ट के लिए आरडीएक्स देने और साजिश रचने के आरोप में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल प्रसाद पुरोहित को गिरफ्तार कर लिया गया था।