नई दिल्ली। आर्थिक क्रिया-कलापों में आई सुस्ती को दूर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने फिर से रेपो रेट में कटौती की है। शुक्रवार को हुई आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) की बैठक में आरबीआई ने 25 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की घोषणा की। इसके साथ ही नया रेपो रेट 5.15 प्रतिशत हो गया है जो पहले 5.40 प्रतिशत था। इसी साल अगस्त में हुई पिछली बैठक में 35 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की गई थी। इस तरह आरबीआइ इस साल अभी तक रेपो रेट में 1.35 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। इस कटौती के बाद लोन की ईएमआई अब और कम होने वाली है।
रेपो रेट कम करने का असर आपके होम लोन, कार लोन या अन्य किसी भी प्रकार के लोन पर पड़ेगा। यदि आपका पहले से लोन चल रहा है या आप लेने वाले हैं तो आने वाले दिनों में बैंक की तरफ से ब्याज दर घटाए जाने से EMI कम हो जाएगी। साथ ही नए ग्राहकों के लिए यह सस्ते लोन की सौगात होगी।
आरबीआई ने कहा है कि रेपो रेट में आगे भी कटौती की जा सकती है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट घटकर 4.9 प्रतिशथ हो गया है। बैंक रेट को 5.40 प्रतिशत पर रखा गया है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि के अनुमानों को 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है। एमपीसी के अनुसार, निगेटिव आउटपुट गैप बढ़ गया है।
गौरतलब है कि जून में समाप्त हुई तिमाही में देश की विकास दर 5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। यह पिछले 6 सालों के न्यूनतम स्तर की दर है। आरबीआई ने भी देश की विकास दर के पूर्वानुमान को 7 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है। पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई बड़ी घोषणाएं की थीं जिनमें बैंकों का मर्जर, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, एफडीआई को लेकर नए नियम और हाउसिंग सेक्टर को लेकर कई ऐलान प्रमुख रहे।
गौरतलब है कि आरबीआई ने बैंकों से लोन को रेपो रेट से लिंक करने को कहा है क्योंकि आरबीआई से बैंकों को अब तक 1.10 प्रतिशत का लाभ मिल चुका है लेकिन बैंक इसका पूरा लाभ ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। मतलब, बैंकों को सस्ते लोन तो मिल रहे हैं लेकिन लोगों को इसका ज्यादा फायदा नहीं मिला है।
हालांकि, कई अर्थशास्त्री रेट कट के पक्ष में नहीं हैं। उनका मानना है कि केंद्रीय बैंक कुछ चीजों को रिजर्व में रखेगा और महंगाई में वृद्धि की गति को देखने के बाद ही इस बारे में कोई निर्णय करेगा।
कोटक महिंद्रा बैंक में कंज्यूमर बैंकिंग की प्रमुख शांति एकम्बरम का कहना है, ‘हाल में कच्चे तेल की कीमतों में आई उतार-चढ़ाव और सरकार द्वारा घोषित वित्तीय कदमों से मध्यम अवधि में महंगाई दर और राजकोषीय घाटे पर असर देखने को मिलेगा।’
आरबीआई वाण्यिजिक बैंकों को जब उधार देता है तो उसे रेपो दर (repo rate) कहा जाता है। मुद्रास्फीति के समय आरबीआई रेपो दर को बढ़ा देता है जिससे बैंकों द्वारा धन उधार लेने और अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति कम होने को हतोत्साहित किया जाता है।
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