Japanese Prime Minister Shinzo Abe, second right, and Indian Prime Minister Narendra Modi, right, attend the Ganga aarti, a religious ceremony or a prayer for the river Ganges, in Varanasi, India, Saturday, Dec. 12, 2015. India and Japan have signed agreements on military purchases for India's armed forces, high-speed trains and upgrading India's infrastructure. (AP Photo/Rajesh Kumar Singh)

वाराणसी, 12 दिसम्बर। काशी को क्योटो बनाने का सपना दिखाने वाले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में शामिल हुए। जापानी पीएम आबे भारतीय परिधान में नजर आए। मोदी और आबे ने गंगा आरती में शामिल होने से पहले गंगा का पूजन किया। दोनों नेताओं ने अपने हाथों से गंगा की आरती उतारी।

दोनों नेताओं ने करीब 10 मिनट तक चले गंगा पूजन में विधिवत पूजा-अर्चना की। पंडितों ने मोदी और आबे के माथे पर तिलक लगाया। वैदिक मंत्रों के बीच दोनों प्रधानमंत्रियों ने गंगा की आरती उतारी।

करीब घंटे भर चले गंगा आरती के दौरान आबे-मोदी ने ध्यानपूर्वक आरती के विधि-विधानों को देखा और मंत्रोच्चार का आनंद लिया। इस दौरान आबे ने मोदी के साथ सेल्फी भी ली।

namo and shinzo abe at varanasi 1212201514मोदी ने इससे पहले कहा था कि संस्कृति और लोग किसी रिश्ते में जान ला देते हैं। मोदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘हमारे खास रिश्ते में एक मानवीय स्पर्श भी है। क्योटो-वाराणसी साझेदारी इसका एक ठोस संकेत है।’ आबे ने फूलों से सुंदर तरीके से सजाए गए घाट का जो दौरा किया वह इस वजह से काफी अहम है, क्योंकि यह क्योटो और वाराणसी के बीच हुए साझेदार शहर समझौते की पृष्ठभूमि में किया गया है। पिछले साल अगस्त में मोदी की जापान यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने इस समझौते पर दस्तखत किए थे।

श्लोकों की गूंज के बीच मोदी और आबे ने नदी किनारे फूलों और एक गुलाब की माला का अर्पण किया। दोनों नेताओं की करीब चार घंटे की वाराणसी यात्रा के लिए करीब 7,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। अमूमन खचाखच भरे रहने वाले घाट की सुरक्षा का जिम्मा थलसेना और नौसेना ने अपने हाथों में ले लिया था जबकि अस्थायी मंच के चारों ओर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के स्कूबा गोताखोरों को तैनात किया गया था। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के जवान मंगलवार से ही शहर में डेरा डाले हुए थे।

namo and shinzo abe at varanasi 1212201515नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड, आतंकवाद निरोधक दस्ते, केंद्रीय अर्धसैनिक बल और राज्य पुलिस एसपीजी की मदद कर रहे थे। बाबतपुर हवाई अड्डे से दशाश्वमेध घाट तक के 22 किलोमीटर लंबे रास्ते में दोनों प्रधानमंत्रियों के स्वागत वाले पोस्टर, बैनर लगाए गए थे। कुछ पोस्टरों में जापानी लिपि में भी संदेश लिखे गए थे।

सड़कों को नए सिरे से दुरस्त किया गया था। शुक्रवार रात से ही यातायात से जुड़ी बंदिशें लागू थीं। दोनों प्रधानमंत्री शाम करीब 6:30 बजे घाट पर पहुंचे। घाट पर दोनों नेताओं का स्वागत ‘हर हर महादेव’ के नारों के साथ किया गया। वाराणसी में लोगों के अभिवादन का यह परंपरागत तरीका है।

मोदी कुछ सेकंड तक घाट की सीढ़ियों पर खड़े रहे और लोगों का अभिवादन किया। लोग ‘‘मोदी मोदी’’ के नारे लगा रहे थे। इसके बाद दोनों नेता घाट की अंतिम सीढ़ी तक गए और वहां करीब 10 मिनट खड़े रहकर गंगा और भागीरथ का अभिषेक किया। भारतीय पौराणिक शास्त्रों में भागीरथ को वह राजा माना गया है जिसने नदी को धरती पर लाने का काम किया था।

मोदी और आबे इसके बाद प्लैटफॉर्म पर अपनी सीटों पर बैठे और नौ पुजारियों एवं ‘रिद्धियों एवं सिद्धियों’ का रूप धरे 18 लड़कियों की ओर से की जा रही गंगा आरती के दर्शन किए। गंगा आरती के दौरान आबे ने अपना कैमरा निकाला और तस्वीरें ली। भक्ति गीतों की गूंज के बीच दोनों प्रधानमंत्री खड़े हुए और गंगा आरती के समापन तक खड़े रहे।

इसके बाद दोनों ने एक बार फिर अपने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया। घाट से प्रस्थान करने से पहले आरती के आयोजकों की ओर से दोनों नेताओं को स्मृति चिह्न भेंट किया गया।

ajmera Leader BAMC

एजेंसी
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