1. बाबरी मस्जिद केस में सीबीआई की याचिका मंजूर, लालकृष्ण आडवाणी एवं भाजपा के अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के आरोप बहाल।
2. लखनऊ में आडवाणी, एम.एम. जोशी, उमा भारती एवं अज्ञात ‘कारसेवकों’ के खिलाफ दो अलग-अलग मामलों की संयुक्त सुनवाई का आदेश।
3. राजस्थान के राज्यपाल होने के कारण कल्याण सिंह को संवैधानिक छूट प्राप्त है और उनके कार्यालय छोड़ने के बाद ही उनके खिलाफ मामला चलाया जा सकता है।
4. लखनऊ की अदालत को इन मामलों पर स्थगन की मंजूरी दिए बिना दैनिक आधार पर सुनवाई करने का आदेश।
5. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अभियोजन के कुछ गवाह बयान दर्ज कराने के लिए निचली अदालत में पेश हों।
6. बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के न्यायाधीश को निर्णय दिए जाने तक स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
7. सुनवाई कर रही लखनऊ की अदालत को चार सप्ताह में कार्यवाही शुरू करने और यह स्पष्ट करने का निर्देश कि नए सिरे से कोई सुनवाई नहीं होगी।
8. शीर्ष अदालत के आदेश का शब्दश: पालन होना चाहिए और उसके आदेशों का पालन नहीं किए जाने की स्थिति में पक्षों को न्यायालय के पास आने का अधिकार।
9. मुकदमा चलाने के साथ शीर्ष अदालत ने दी हिदायत- दो साल में ट्रायल पूरी करे स्पेशल कोर्ट।
न्यायाधीश पीसी घोष और न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन की संयुक्त पीठ ने मामले में सीबीआई की अपील पर यह फैसला सुनाया है।सीबीआई ने कोर्ट से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सहित 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का मुकदमा चलने की मांग की थी। सीबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि रायबरेली की कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट में स्थानांतरित कर साझे तरीके से ट्रायल होना चाहिए।
इससे पहले 6 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश नरीमन ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस मामले के कई आरोपी पहले ही मर चुके हैं और ऐसे ही देरी होती रही तो कुछ और कम हो जाएंगे।इस दौरान आडवाणी के वकील के.के. वेणुगोपाल ने मुकदमा स्थानांतरित करने का पुरजोर विरोध किया था।उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ऐसे केस स्थानांतरित नहीं कर सकती है।रायबरेली में मजिस्ट्रेट कोर्ट है, जबकि लखनऊ में सेशन कोर्ट इस मामले को सुन रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान के कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करके रायबरेली में चल रहे मामले को लखनऊ की विशेष अदालत में स्थानांतरित कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पहले ही काफी देरी हो चुकी है। लिहाजा वह यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले की सुनवाई अगले 2 साल में पूरी हो और प्रतिदिन इसकी सुनवाई हो।
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