जोशीमठ (चमोली)। बदरीनाथ धाम के कपाट शुक्रवार को तड़के 4:30 बजे ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए। इस मौके पर बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी, धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी व अन्य पूजा स्थलों से जुड़े कुल 11 लोग ही शामिल हुए। कोरोना वायरस की वजह से लागू किए गए लॉकडाउन के चलते इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कपाट खुलते वक्त धाम में श्रद्धालु मौजूद नहीं थे। सेना के बैंड की सुमधुर ध्वनि, और भजन मंडलियों की स्वर लहरियां भी नहीं सुनायी दीं। धाम में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई।

उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्रतल से 10276 फीट की ऊंचाई पर स्थित भू-वैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम के कपाट जेष्ठ माह की कृष्ण अष्टमी तिथि, कुंभ राशि, धनिष्ठा नक्षत्र और ऐंद्रधाता योग के शुभ मुहूर्त खोले गए। इस अवसर पर सोशल डिस्टेंसिंग  का पालन हुआ, मास्क पहने गए।  इससे पहले प्रात: तीन बजे से बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हुई। देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी/सेवादार और हक-हकूकधारी मंदिर परिसर के निकट पहुंच गए। कुबेर जी बामणी गांव से बदरीनाथ मंदिर परिसर में पहुंचे तो रावल एवं डिमरी हक-हकूकधारी भगवान के सखा उद्धव जी एवं गाडू घड़ा तेल कलश लेकर द्वार पर पूजा हेतु पहुंचे।

वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ द्वार पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रात: साढ़े 4 बजे रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा धाम के कपाट खोले गए। कपाट खुलते ही माता लक्ष्मी को मंदिर के गर्भ गृह से रावल द्वारा मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी मंदिर में रखा गया। श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी बदरीश पंचायत के साथ विराजमान हो गए।

कपाट खुलने के बाद मंदिर में शीतकाल में ओढे गए घृत कंबल को प्रसाद के रूप में वितरित किया गया। माणा गांव के जरिए तैयार हाथ से बुने गए घृतकंबल को कपाट बंद होने के अवसर पर भगवान बद्रीविशाल को ओढ़ाया जाता है। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही मानवमात्र के रोग शोक की निवृत्ति, आरोग्यता और विश्व कल्याण की कामना की गई। 

error: Content is protected !!