लखनऊ। लॉकडाउन की वजह से अपने घर-गांव लौटने के इच्छुक उत्तर प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों के लिए एक हजार बसें चलाने की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की पेशकश को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने स्वीकार कर लिया है। साथ ही यूपी सरकार ने उनसे इन बसों की सूची और चालक/परिचालकों के नाम समेत जरूरी जानकारी भी उपलब्ध कराने को कहा है।
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने सोमवार को प्रियंका गांधी को चिट्ठी लिख कर प्रदेश सरकार की सहमति की जानकारी दी है। पत्र में सहमति देने की जानकारी के साथ ही लिखा गया है कि प्रियंका जी अविलंब 1000 बसों की सूची और उनके चालक/परिचालक की विस्तृत जानकारी को सरकार को उपलब्ध कराएं जिससे कि इनका उपयोग प्रवासी मजदूरों के लिए हो सके।
गौरतलब है कि इस चिट्ठी से कुछ समय पहले ही प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर यह आरोप लगाया था कि वह बसों की व्यवस्था करने की उनकी पेशकश को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। दरअसल, प्रियंका गांधी ने कांग्रेस पार्टी की ओर से योगी आदित्यनाथ सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा था कि पलायन कर रहे मजदूरों के लिए सरकार की ओर से घर पहुंचाने की कोई खास व्यवस्था नहीं हो सकी है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी गाजीपुर बॉर्डर गाजियाबाद और नोएडा बॉर्डर से 500-500 बसों को चलाना चाहती है। इन बसों का पूरा खर्च कांग्रेस पार्टी वहन करेगी। ऐसे में कांग्रेस बसों के परिचालन के लिए सरकार की अनुमति चाहती है।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने कांग्रेस को घेरा
इस चिट्ठी के बाद से ही कांग्रेस योगी आदित्यनाथ सरकार पर यह आरोप लगा रही थी कि प्रवासी मजदूरों की तमाम परेशानियों के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार बसों के परिचालन की अनुमति नहीं दे रही है। इस पर सोमवार को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने प्रियंका गांधी से सवाल करते हुए कहा था कि जब आपके पास 1000 बसें हैं तो राजस्थान (कांग्रेस की सरकार) और महाराष्ट्र (शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार) से ट्रकों में भरकर हमारे साथियों को उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और बंगाल क्यों भेज रहे हैं?
इसी दौरान सीएम कार्यालय ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से प्रियंका गांधी से यह भी पूछा कि औरैया में जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई , कांग्रेस नेतृत्व को समझना चाहिए कि उनमें से एक ट्रक झारखंड (झामुमो-कांग्रेस की गठबंधन सरकार) से आया था और दूसरा ट्रक पंजाब (कांग्रेस की सरकार) से आया था। प्रवासी कामगारों और श्रमिकों से भारी पैसा वसूला गया। बिहार और झारखंड जाने के लिए गरीबों से रुपया वसूला गया तब क्या कर रहे थे?