बेंगलुरु। पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने भारत में अपने कई ठिकाने बनाने की साजिश रची थी। इसकी जिम्मेदारी उसने अपने कमांडर अबू हमजा को सौंपी थी। कर्नाटक के खुफिया विभाग के पूर्व अपर महानिदेशक (एडीजी) गोपाल बी. होसुर ने यह जानकारी दी। लश्कर-ए-तैयबा पर मुंबई, बेंगलुरु समेत भारत के कई शहरों में आतंकवादी हमले कराने का आरोप है।

होसुर ने यह जानकारी खुफिया सूचनाओं और राजनीति पर आधारित कन्नड़ भाषा की एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर साझा की। उन्होंने बताया कि भारत में ठिकाने तैयार करने की साजिश में अबू हमजा ने बिहार के सबाबुद्दीन को अपना शागिर्द बनाया और 28 दिसंबर 2005 को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस  (आइआइएससी), बेंगलुरु पर हमला किया। इस हमले में गणित के प्रोफेसर मनीष चंद्र पुरी की मौत हो गई जबकि चार लोग घायल हुए थे। हमजा के कहने पर ही  सबाबुद्दीन ने बेंगलुरु के एक कॉलेज में प्रवेश लिया था। इससे उसे कॉलेज का परिचय पत्र मिल गया। इसके आधार पर वह शहर में रहकर रेकी और ठिकाना तैयार करने की स्थितियां देखने लगा।

होसुर ने बताया कि मुंबई हमले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकावादी अजमल आमिर कसाब से पूछताछ में उन्हें आइआइएससी, बेंगलुरु में लश्कर की भूमिका की जानकारी मिली। वर्ष 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के समय जिंदा पकड़े गए कसाब ने बताया कि लश्कर ने बेंगलुरु हमला सनसनीखेज न हो पाने को एक उदाहरण के रूप में लिया। उसके विफल रहने के कारणों के बारे में आतंक की ट्रेनिंग लेने वाले रंगरूटों को जानकारी दी। साजिश के मुताबिक बेंगलुरु में आतंकियों को सेमिनार में पहले हैंड ग्रेनेड फेंकने थे, उसके बाद एके 56 राइफलों से फायरिंग करनी थी लेकिन ऑटो रिक्शा वाले के ट्रैफिक रूल तोड़ने से इन्कार कर देने से पूरी साजिश गड़बड़ हो गई और जब हमला हुआ तब तक सेमिनार करीब खत्म हो चुकी थी। इससे वहां अतंकियों के अनुमान से कम खूनखराबा हुआ।

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